मार्च-अप्रैल की द्विमाही के दौरान सदैव हरे रहने वाले फलों जैसे-आम, अमरूद, लीची, नीबूवर्गीय फल आदि के नए बाग लगाए जा सकते हैं। इस दौरान शीतोष्णवर्गीय फलों तथा कई समशीतोष्ण व उपोष्ण फलों में पुष्पण आरंभ हो जाता है। इस द्विमाही के दौरान बागवानों को पुष्पण के दौरान परागण प्रबंधन करना होता है और अत्यधिक सिंचाई से भी बचना पड़ता है। इसके अतिरिक्त फल लगने के तुरंत बाद सिंचाई का समुचित प्रबंध भी करना जरूरी होता है। इसी संदर्भ में महत्वपूर्ण आम के बागान में मार्च-अप्रैल की द्विमाही में की जाने वाली प्रमुख कृषि क्रियाओं का संक्षिप्त विवरण दिया गया है।
आम की अच्छी पैदावार लेने के लिए यह द्विमाही अत्यंत महत्वपूर्ण है। मार्च में आम में पुष्पण के उपरांत फल लगने की क्रिया प्रारम्भ हो जाती है। पुष्पण के दौरान किसी भी कीटनाशी का प्रयोग करने से बचें। इस अवधि में छिड़काव करने से परागकण बह जाते हैं और लाभकारी कीटों की मृत्यु भी हो सकती है। इसके अतिरिक्त, पुष्पण के दौरान बागों की सिंचाई भी न करें, परंतु फल लगने के तुरंत बाद सिंचाई के समुचित प्रबंध को सुनिश्चित अवश्य करें। इस अवधि में कुछ रोगों एवं कीटों के संक्रमण की आशंका भी बनी रहती है।
- चूर्णिल आसिता रोग से बचाव के लिए मार्च के प्रथम सप्ताह में पहला छिड़काव आर्द्रशील गंधक (2 ग्राम प्रति लीटर) से जब बौर 8 से 10 सें.मी. लंबी हो तब तथा दूसरा छिड़काव 10-15 दिनों के अंतराल पर डिनोकैप (1 मि.ली. प्रति लीटर पानी में) से अवश्य करें।
- बौर पर श्याम व्रण दिखाई देने पर कार्बेण्डाजिम (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। पत्तियों और शाखों पर श्याम व्रण का प्रकोप होने पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
- मिलीबग (गुजिया) के बचाव के लिए वृक्षों के तने पर पॉलीथीन की 3 फीट चौड़ी पट्टी बांध दें एवं पौधों की अपेक्षा भूमि पर किसी अंतर्प्रवाही कीटनाशी (मैटासिस्टोक्स या रोगार) का छिड़काव कीटों को मारने के लिए करें।
- फलों को फुदका या तेला से बचाने के लिए डाइमेथोएट (0.5 मि.ली. प्रति लीटर) अथवा बुप्रोफेजीन 25 प्रतिशत एससी (1-2 मि.ली. प्रति लीटर) का छिड़काव करें।
- अप्रैल में फल मक्खी से बचाव हेतु प्रपंचों (मेथाइल यूजीनॉल 0.1 प्रतिशत व मैलाथियोन 0.1 प्रतिशत) का प्रयोग करें।
- साधारणतः अप्रैल में फलों का विकास तीव्र गति से होता है। अतः नियमित रूप से बाग की सिंचाई 15 दिनों के अंतराल पर अवश्य करें।
- आम के बागों में एक वर्ष के वृक्षों के लिए 50 ग्राम नाइट्रोजन, 25 ग्राम फॉस्फेट व 50 ग्राम पोटाश को क्रमश: बढ़ाकर 10 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वृक्षों के लिए प्रति पेड़ 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फेट तथा 500 ग्राम पोटाश का प्रयोग करें।
- अप्रैल में फलों का गिरना भी अत्यधिक होता है। इसे रोकने के लिए फूल बनने की अवस्था से लेकर फल बनने तक प्लेनोफिक्स का 4.5 मि.ली./लीटर प्रति गैलन की दर से तीन बार छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त, 2 प्रतिशत यूरिया का घोल भी फलों के निंबोली जैसे होने पर (निंबोली अवस्था) पर अथवा छिड़काव सूक्ष्म तत्वों के 10-12 दिनों के अंतराल पर कर सकते हैं।
- आम में ऊतक क्षय रोग के नियंत्रण के लिए 0.8 प्रतिशत बोरेक्स का छिड़काव करें।
- अप्रैल में ही गुच्छा रोग से ग्रसित बौरों को काटकर नष्ट (जलाकर या मिट्टी में गहरा दबाकर) कर देना चाहिए।
- दीमक का प्रकोप होने पर क्लोरपायरीफॉस (2 मि.ली. प्रति लीटर ) का छिड़काव करें।
- इन महीनों मे नए लगे पौधों पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। नए पौधों को एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई अवश्य दें। लू व गर्मी से बचाने के लिए इन्हें तीन ओर से छप्पर (पुआल) से ढक देना चाहिए। पूर्व की दिशा को थोड़ा खुला रखें, जिससे सूर्य का प्रकाश और हवा मिलती रहे।