बरसात में करें मिर्च की खेती और पाएं अधिक उत्पादन, ऐसे करें मिर्च की खेती

बरसात में करें मिर्च की खेती और पाएं अधिक उत्पादन, ऐसे करें मिर्च की खेती
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Kisaan Helpline

Crops Jun 07, 2024

Chilli Farming: हरी मिर्च खरीफ की फसल है। भारत में हरी और लाल दोनों तरह की मिर्च का इस्तेमाल किया जाता है। मिर्च की खेती आप किसी भी मौसम में कर सकते हैं, लेकिन अगर आप मानसून के मौसम में मिर्च की खेती करते हैं, तो फसल की मात्रा और गुणवत्ता बेहतर होती है, लेकिन ध्यान रखें कि अगर मिर्च की खेती मध्यम वर्षा वाले स्थानों पर की जाए तो फसल बहुत अच्छी होती है। अगर आप मिर्च की खेती अधिक वर्षा, अधिक गर्मी या अधिक ठंड वाले स्थानों पर करते हैं, तो फसल खराब हो सकती है। मिर्च की खेती के लिए सबसे अच्छी जगह वह मानी जाती है जहाँ साल में 60-150 सेमी बारिश होती है।
  • मैदानी क्षेत्रों में वर्षा के मौसम में मिर्च की खेती की जाती है। बीज अकुंरण के लिए 16°-20° सेल्सियस, पौधे की बढ़वार के लिए 21°-27° सेल्सियस तथा फल विकास व परिपक्वता के लिए 30 सेल्सियस तापमान उपयुक्त है। 
  • बलुई दोमट व दोमट मृदा, जिनका पी-एच मान 5.6 से 6.8 हो, उपयुक्त होती है।
  • मैदानी क्षेत्रों में मिर्च के लिए खरीफ के मौसम में बुआई का समय जून-जुलाई तक होता है। 
  • मिर्च के लिए 1000-1200 ग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त है। 
  • अगेती मिर्च की पौध तैयार करने के लिए पौधशाला की तैयारी कर बीज बोयें। 
  • बुआई से पहले 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा या 2 ग्राम थीरम या कैप्टॉन प्रति कि.ग्रा. की दर से बीज को उपचारित करें। 
  • हरी मिर्च की प्रजाति पूसा ज्वाला, पूसा सदाबहार, एन.पी.-46ए, पंत सी 1 आदि खेती के लिए उपयुक्त हैं। 
  • इस समय मिर्च की पौध भी तैयार होगी और जून के आखिरी समय तक 30-35 दिनों की पौध को खेत में रोपण कर देना चाहिए। 
  • सामान्य प्रजातियों की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की दूरी 45×45 सें.मी. तथा संकर प्रजातियों की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की दूरी 60×45 सें.मी. पर करनी चाहिए। 
  • खेत की तैयारी करते समय 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद के साथ बुआई के समय 100-120 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा., फॉस्फोरस 60 कि.ग्रा. पोटाश 40 कि.ग्रा./हैक्टर की दर से प्रयोग करनी चाहिए। रोपाई से पहले अंतिम जुताई के समय आधी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय मिला देनी चाहिए तथा शेष नाइट्रोजन की मात्रा खड़ी फसल में दो बार में देनी चाहिए। 
  • मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें। उसके उपरांत इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार फसल में कम अंतराल में सिंचाई करें।

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