बाजार की मांग के अनुसार जून-जुलाई माह में खरीफ फसलों की जगह कर सकते है औषधीय पौधों की खेती

बाजार की मांग के अनुसार जून-जुलाई माह में खरीफ फसलों की जगह कर सकते है औषधीय पौधों की खेती
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Kisaan Helpline

Crops May 31, 2021

वर्तमान समय में किसान भाई खरीफ फसलों की बुवाई के संबंध में खेती कार्य शुरू कर दिए। जून-जुलाई के महीने में अपने देश में खरीफ फसलों की खेती होती है। बारिश के साथ ही किसान अपनी तैयारियां शुरू कर देते हैं। खरीफ में आनी वाली फसलें पारंपरिक हैं जैसे सोयाबीन, उड़द, मुंग आदि अनेक फसलें है जिनकी बुवाई खरीफ सीजन में होती हैं। अगर आप इनसे हट कर कुछ अलग करना चाहते हैं तो आपके पास शानदार विकल्प है। तमाम औषधीय पौधे हैं, जिनकी खेती रोपाई या बुवाई का काम जून-जुलाई के महीने में होता है।

बाजार की मांग के अनुसार औषधीय पौधों की खेती करना लाभदायक साबित हो सकता हैं, सरकार भी किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। कई राज्यों में इनकी खेती बड़े पैमाने पर होने लगी है, औषधीय फसलों की खेती में लागत कम और फायदा अधिक हैं। इस कारण किसान भाइयों को खरीफ फसलों स्थान पर औषधीय फसलों का चुनाव करना उचित होगा। आइये जानते है जून-जुलाई माह में इन औषधीय पौधों की खेती कर अधिक लाभ कमा सकते हैं।

Turmeric (हल्दी)
हल्दी एक महत्वपूर्ण मसाले वाली फसल है, जिसका प्रयोग मसाले, औषधि, रंग सामग्री और सौंदर्य प्रसाधन के रूप में तथा धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। हल्दी की खेती एवं निर्यात में भारत विश्व में पहले स्थान पर है। यह फसल गुणों से परिपूर्ण है हल्दी की खेती आसानी से की जा सकती है तथा कम लागत तकनीक को अपनाकर इसे आमदनी का एक अच्छा साधन बनाया जा सकता है।
बुवाई का समय
जलवायु, क़िस्म एवं सिंचाई की सुविधानुसार इसकी बुवाई 15 मई से 15 जून के मध्य की जा सकती है।
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Giloy (गिलोय)
गिलोय (Giloy) एक दिव्य औषधि है, जिसे लाखों लोगों ने उपयोग में ला कर कई बिमारियों से छुटकारा पाया है। गिलोय देखने में लगभग पान के पत्ते की तरह होती है। यह लता के रूप में उगती है और बढती है। गिलोय के पत्ते पतले, हरे और दिल आकर के होते हैं।
बुवाई का समय
मुख्य रूप से जून-जुलाई के महीने में की जाती है।
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Kalmegh (कालमेघ/चिरायता/चिरता)
कालमेघ एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है। इसे कडू चिरायता व भुईनीम के नाम से जाना जाता है। इसका उपयोग अनेकों आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाईयों के निर्माण में किया जाता है। यह यकृत विकारों को दूर करने एवं मलेरिया रोग के निदान हेतु एक महत्वपूर्ण औषधी के रूप में उपयोग होता है। खून साफ करने, जीर्ण ज्वर एवं विभिन्न चर्म रोगों को दूर करने में इसका उपयोग किया जाता है।
कालमेघ के बीजों की बुवाई जून के अंतिम सप्ताह या जुलाई के प्रथम सप्ताह में की जाती है।
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Brahmi (ब्राह्मी)
ब्राह्मी एक औषधीय पौधा है जो भूमि पर फैलकर बड़ा होता है। यह पूर्ण रूप से औषधीय पौधा है। यह औषधि नाडि़यों के लिये पौष्टिक होती है। कब्‍ज को दूर करती है। इसके पत्‍ते के रस को पेट्रोल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया दूर करती है। ब्राह्मी में रक्‍त शुद्ध करने के गुण भी पाये जाते है। यह हृदय के लिये भी पौष्टिक होता है। इसकी बुवाई मध्य जून या जुलाई महीने के शुरू में कर लेनी चाहिए।
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Mulethi (मुलेठी/लिकोरिस)
मुलेठी को सदाबहार झाड़ीनुमा पौधा कहा जाता है। मुलेठी एक गुणकारी जड़ी बूटी है। आमतौर पर लोग इसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम या खांसी में आराम पाने के लिए करते हैं। गले की खराश में इसका उपयोग करना सबसे ज्यादा असरदार होता है। हालांकि मुलेठी के फायदे सिर्फ इतने ही नहीं हैं बल्कि इसका मुख्य इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है।
बुवाई का समय
जनवरी - फरवरी के महीने में नर्सरी तैयार करें। फरवरी-मार्च या जुलाई-अगस्त के महीने में बुवाई की जा सकती है।
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Satavari (सतावरी)
आप जानते है सतावर या शतावरी एक महत्वपूर्ण औषधीय फसल है, सतावर एक ऐसा पौधा है जिसका उपयोग कई प्रकार की दवाइयों को बनाए के लिए किया जाता है सतावर औषधीय पौधों की अंतर्गत आता है जिससे इस पौधे की मांग तो बड़ी ही साथ ही इसकी कीमत में भी वृद्धि हुई है। सतावर के पौधों की रोपाई जून-जुलाई के महीने में की जाती है।
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Lemon Grass (नींबू घास)
लेमन घास या नींबू घास (Lemon Grass) एक सुगन्धित औषधीय पौधा है। जिसकी औसतन ऊंचाई 1-3 मीटर लंबा होता है। पत्ते 125 सैं.मी. लंबे और 1.7 सैं.मी. चौड़े होते हैं। इसका उपयोग मेडिसिन, कॉस्मेटिक और डिटरजेंट में किया जाता है। लेमन ग्रास से निकलने वाले तेल की बाजार में बहुत मांग है। लेमन ग्रास से निकलने वाला तेल कॉस्मेटिक्स, साबुन और तेल और दवा बनाने वाली कंपनियां उपयोग करती हैं, इस वजह से इसकी अच्छी कीमत मिलती है। औषधीय गुणों से भरपूर लेमनग्रास की खेती का सबसे उपयुक्त समय फरवरी से जुलाई के बीच का होता है।
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ALOE VERA (एलोवेरा)
एलोवेरा एक प्रकार का औषधीय और काँटेदार पौधा है, अलो वेरा/एलोवेरा को घृत कुमारी, क्वारगंदल, या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। एलोवेरा में औषधीय गुण होने के कारण इस पौधे की भारत में बहुत ज्यादा डिमांड है. दवाई कंपनियों से लेकर कास्मेटिक उत्पाद, फेस पैक, हेल्थकेयर, और टेक्सटाइल बनाने वाली कम्पनियाँ इसकी खरीद बड़े मात्रा में करती है। बाजार में एलोवेरा की डिमांड को देखते हुए यह एलोवेरा की खेती करना बहुत ही फायदेमंद है।
बुवाई का समय
एलोवेरा की खेती सर्दियों के महीनों को छोडक़र पूरे वर्ष की जा सकती है। लेकिन अच्छे विकास के लिए एलोवेरा के पौधे फरवरी या जुलाई-अगस्त में लगाना उचित रहता है।
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Gudmar (गुड़मार/मधुनाशिनी)
विश्‍व में पाये जाने वाले अनेकों बहुमूल्‍य औषधीय पौधों में गुड़मार एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है। गुड़मार के पत्‍ते तथा जड़ औषधीय रूप में उपयोग किये जाते हैं।
बुवाई का समय
नर्सरी तैयार करने का सही समय अप्रैल-मई माह होता है। और पौधों की रोपाई जुलाई और अगस्त माह में बारिश के शुरू होने के बाद की जाती है।
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