जैविक नियंत्रण-
इस कीट को खत्म करने के लिए किट में लगे फलों पर उपचार के लिए नीम के बीजों (निबौरी) के रस का 5% की दर से या स्पाइनोसैड का उपयोग कारगार साबित होता है। कीट को अंडे देने से रोकने के लिए आप ऊपरी 10 सेमी. किनारों पर चिपचिपे पदार्थ जैसे कि गोंद लगे नेट का उपयोग कर सकते है। अगर गोंद उपलब्ध न हो तो नेट को 2 मी. की ऊंचाई पर 40 सेमी. फैलाएं और फिर बाहर निकाल कर सीधे लगे नेट से नीचे कर 80-85 डिग्री कोण पर फैलाते जाएं।
रासायनिक नियंत्रण-
सेविमॉल (0.1%), एंड्रिन (0.04%), मैलाथियान (0.1%) का नियमित अंतराल पर छिड़काव इस कीट का प्रकोप काबू में रखता है। फल पकने और तोड़ने के समय सिंथेटिक पायरेथ्रॉयड और कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें।
निवारक उपाय-
1. प्रतिरोधी या सहनशील किस्में लगाएं।
2. अन्य फसलें जैसे सौंफ, अजवाइन, धनिया और निजेला लगाएं।
3. प्रभावित पत्तियां, टहनियां या फलों को तोड़कर खेत से कुछ दूर नष्ट कर देना चाहिए।
4. खेत में गिरे हुए फल, पत्तियां और टहनियां हटा दें।
5. गंभीर प्रकोप होने पर पूरे पौधे को उखाड़ कर नष्ट कर दें।
6. नायलॉन नेट का इस्तेमाल करके पतंगे का अन्य फ़सलों या खेतों में जाना रोकें।
7. पतंगों को आकर्षित करने और बड़ी संख्या में पकड़ने के लिए फेरोमॉन जाल का इस्तेमाल करें।