बड़ी इलायची की व्यावसायिक खेती, जानिए औषधीय गुण एवं उत्पादन क्षमता के बारे में

बड़ी इलायची की व्यावसायिक खेती, जानिए औषधीय गुण एवं उत्पादन क्षमता के बारे में
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Kisaan Helpline

Crops Aug 04, 2021

जैसे की आप जानते है बड़ी इलायची जिसे काली इलायची भी कहा जाता है, भारत का एक प्रसिद्ध मसाला है। यह विश्व का तीसरा सबसे महंगा मसाला है, जिसकी कीमत वैनिला और केसर से भी अधिक है। नेपाल इसके उत्पादन में अग्रणी देश  है। काली इलायची का स्वाद कपूर और पुदीने की सुगंध के जैसा गहरा धुएं सा होता है। बड़ी इलायची या लार्ज कार्डेमम को मसाले की रानी कहा जाता है, इसका उपयोग भोजन का स्वाद बढाने के लिए किया जाता है लेकिन इसमें औषधिय गुण भी होते हैं।

औषधीय गुण
बड़ी इलायची औषधीय गुणों से भरपूर है, इसका उपयोग औषधि के रूप में सांसों की बीमारी, दांत दर्द, मुंह में छाले में राहत तथा पाचन शक्ति बढ़ाने में किया जाता  है।

पौधरोपण का समय
पौधों का रोपण जुलाई या अगस्त के महीने में करना चाहिए। यह नवंबर से दिसंबर के महीने में भी किया जा सकता है।

लागत 
बड़ी इलायची का एक पौधा नर्सरी में 10-12 रुपये में मिल जाता है।

खेत की तैयारी
बड़ी इलायची की खेती के लिए हमें पहले की गयी खेती के बची हुई फसल को हटाकर नए फसल के लिए जुताई करना है। बारिश के समय पौधों में सिंचाई की जरुरत न पड़े इसके लिए हमें खेत में मेड़ बना देना चाहिए जिससे जल का संरक्षण हो सके।

ढाल वाली जमीन और कम वर्षा वाले जगहों पे पानी संरक्षण की अधिक जरुरत होती है। इसके बाद खेत मे गहरी जुताई कर के रोटावेटर चलाकर मिट्टी समतल  कर लें।

दुरी
अब पौधे का मेड़ बनाने के लिए लगभग डेढ़ से दो फिट की दुरी पर मेड़ बना देना है। पौधे को समतल में लगाने के लिए इतनी ही दूरी रखते हुए गड्ढे तैयार कर लेना चाहिए।

अब इस खेत में खाद और रासायनिक खाद डाल कर मिला दे। पौधा लगाने से 15-20 दिन पहले खेत की तैयारी कर लेनी चाहिए।

अन्तर-फसल
इलायची के पौधे के आस-पास चारों तरफ बड़े पेड़ जैसे आम, अमरुद, संतरा आदि लगाने चाहिए जिससे इलायची के पौधे को छाया मिल सके जिससे पौधे की अच्छी वृद्धि हो सके और हमे ज्यादा उपज मिल सके। एक बार बड़ी इलायची का पौधा लगाने के बाद 10 सालो तक हमे मिलता रहता है।

रोग और रोकथाम
काली इलायची और हरी इलाइची के पौधों में समान रोग मिलते है, जिसका रोकथाम भी समान होता  है। इलाइची के पौधों में बहुत कम रोग देखा जाता है, जिससे  पैदावार को काफी कम नुकसान पहुंचता है।

फंगल रोग:- इलायची के पौधे पर लगने वाले पेड़ो की झुरमुट और फंगल रोग के लगने पर पौधा पूरी तरह से बेकार हो जाता है। पौधे की पत्तियां सिकुड़ कर नष्ट हो जाती हैं, तथा पैदावार प्रभावित होता है।
रोकथाम हेतु बीज को ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर खेत में लगाना चाहिए। तथा रोगग्रस्त पौधे को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए।

सफेद मक्खी:- सफेद मक्खी पौधे की पत्तियों पर आक्रमण कर इसके बढ़वार को रोक देता है। पत्तियों के नीचे की तरफ सफ़ेद रंग की मक्खियां दिखाई देती हैं, जो पतीयों का रस चूसकर उन्हें नष्ट कर देती है।
रोकथाम हेतु कास्टिक सोडा और नीम के पानी को मिलाकर छिडकाव करें।


ब्रिंग लार्वा:- इलायची के पौधे पर लगने वाला ब्रिंग लार्वा पौधे के नर्म भागों पर आक्रमण कर उन्हें नष्ट कर देता है। बचाव हेतु बेसिलस का छिडकाव करें।

फसल की कटाई
बड़ी इलायची की फसल अक्टूबर या नवंबर में तैयार हो जाती है। फल पकने के बाद फल युकत शाखा को खेत से 18 इंच ऊपर से काटना चाहिए और उसके बाद फलो को निकाल कर छांव में सुखाना चाहिए।

भंडारण
अच्छे से सूख चुके इलायची को पॉलिथीन से बने बस्तों में भर देना चाहिए और उसे किसी लकड़ी के बने बॉक्स में ऐसे रखना चाहिए जिससे उसमे नमी ना जा सके। इसके अलावा हमें इसमें फफूंदी लगने से भी बचाव करना चाहिए।

उत्पादन
बड़ी इलायची का पौधा पहले और दूसरे वर्ष में बढ़ना और विकसित होना शुरू कर देता है। तीसरे और चौथे वर्ष एक खेत से 10-12 किलो ग्राम उपज मिल सकता है।

लाभ
बड़ी इलायची की कीमित बाजार में 800-1000 रुपये  है, इलाइची के खेती से किसान एक वर्ष में 2-3 लाख प्रति हेक्टेयर की कमाई कर सकते है।

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