जैसे की आप जानते है सफेद मूसली को औषधि के रूप में काफी सम्मानजनक स्थिति हासिल है। सफेद मूसली एक बहुत ही उपयोगी पौधा है, जो कुदरती तौर पर बरसात के मौसम में जंगल में उगता है। सफेद मूसली की जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक और यूनानी दवाएं बनाने में किया जाता है। जड़ी बूटी वाली यह महत्वपूर्ण औषधि मनुष्य की दुर्बलता और नपुसंकता निवारण में उपयोगी है। स्तनपान कराने वाली माताओं को दूध बढ़ाने के लिए भी इसे दिया जाता है। सफेद मूसली अधिकांशत: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों में कुछ निश्चित स्थानों पर स्वत: उग जाती है। यह राजस्थान के कोटड़ा दया, अम्बासा, सीतामाता, कुंभलगढ़, झरगा पड़ावली, सोम, पानख, मामेर, पीपलखूंट व बारां के जंगलों में पाई जाती है। लगातार कटते जंगलों के कारण अब यह धीरे-धीरे खत्म हो रही है।
इसकी खेती के लिए उपर्युक्त स्थान
सफेद मूसली के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में चाहिए। इसकी खेती आमतौर पर ऐसे स्थानों पर की जा सकती है, जहां बारिश 500 से 1000 मिलीमीटर तक होती है। जहां इसकी खेती की जानी है, वहां की भूमि में आद्रता और आद्रता भरी जलवायु होना जरूरी है।
भूमि का चयन
सफ़ेद मूसली की खेती दोमट मिट्टी वाली जमीन, जहां पानी का निकास अच्छा हो, जिसमें पर्याप्त जीवांश व जलधारण क्षमता हो, इस फसल की खेती के लिए उपयुक्त होती है।
खेती के लिए उचित समय
तैयार सफेद मूसली को वर्षा आने पर डोलियों के ऊपर 15 सेंटीमीटर की दूरी पर मिट्टी में खड़ी लगा देवें। जिस स्थान पर सिंचाई के साधन उपलब्ध हों, वहां सफेद मूसली जून के मध्य में खेत में लगा सकते हैं।
बुवाई के लिए बीज की मात्रा
एक हैक्टेयर की बुवाई के लिए करीब 400 से 600 किलोग्राम गूदेदार सफेद मूसली की जड़ों की आवश्यकता होती है या 2,22,000 पौधों की जरूरत होती है। बीज के लिए या बीज के रूप में 5 से 10 ग्राम तक के गुदेदार जड़ों के टुकड़े उपयुक्त होते हैं।
सिंचाई
जमीन में पानी की नमी कम हो तो बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करें। इसके बाद भी वर्षा का अभाव रहे तो सिंचाई करें। सिंचाई के समय ध्यान रखें कि खेत में पानी अधिक समय तक भरा नहीं रहना चाहिए।
निराई गुड़ाई
खरपतवार की रोकथाम के लिए समय-समय पर आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करना चाहिए।
फसल कटाई का समय
सफेद मूसली करीब 80 से 90 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जब पौधों की पत्तियां पूरी तरह से सूख जाएं तो जमीन को खोदकर सितंबर माह में मूल के गुच्छे निकाल लेने चाहिए।
भण्डारण
सफेद मूसली की जड़ों के गुच्छे सितंबर से नवंबर के बीच निकाले जाएं। इसके बाद गुच्छों से जड़ों को इस तरह से अलग करें कि जड़ का छिलका नहीं हटे। अगले साल की बुवाई के लिए इन जड़ों को झोपड़ी या कच्चे फर्श वाले मकान में 20-30 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा खोदकर जड़ों को मिट्टी में मिलाकर भंडारण करें। ध्यान रखें कि भंडारण वाले स्थान पर आद्रता नहीं रहे।
उत्पादन
औषधीय गुणों वाली सफेद मूसली की खेती को लाभ के सौदे के रूप में देख जाता है। एक हैक्टेयर जमीन से करीब 1000-2000 किलोग्राम सफेद मूसली की गूदेदार जड़ें या 200 से 250 किलो सूखी सफेद मूसली की उपज प्राप्त की जा सकती है।
फसल सुरक्षा
खड़ी फसल में कोई विशेष बीमारी या कीट का प्रकोप नहीं होता है। क्लोरोसिस के निवारण के लिए प्रयोग चल रहे हैं। बीज के भंडारण में कुछ जड़ें सड़ जाती हैं। ऐसे में भंडारण से पहले जड़ों का बाविस्टिन एक ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल से उपचारित करना लाभदायक है।
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