अश्वगंधा की खेती करके कमा सकते है बढ़िया मुनाफा, इस पौधे की जड़ से लेकर फल और बीज तक बिक जाएगा

अश्वगंधा की खेती करके कमा सकते है बढ़िया मुनाफा, इस पौधे की जड़ से लेकर फल और बीज तक बिक जाएगा
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Kisaan Helpline

Crops Jun 20, 2023

Ashwagandha Farming: आजकल खेती केवल जीविकोपार्जन का साधन नहीं रह गई है। कई शिक्षित लोग कृषि की ओर रुख कर रहे हैं और अच्छी कमाई कर रहे हैं। आजकल भारत के किसान भी पारंपरिक फसलों के स्थान पर नकदी और औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें अपनी आमदनी बढ़ाने में भी काफी मदद मिल रही है। अगर आप भी बंपर कमाई वाली फसल उगाना चाहते हैं तो आज हम आपको ऐसी ही एक फसल के बारे में बता रहे हैं। जिसमें आप घर बैठे लागत से कई गुना अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।

आज हम आपको अश्वगंधा की खेती के बारे में बता रहे हैं। अश्वगंधा की खेती कर किसान कम समय में अधिक मुनाफा कमाकर मालामाल हो सकते हैं। अश्वगंधा एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है। इसके सेवन से कई तरह के असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। साथ ही इसे दूध में मिलाकर पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अश्वगंधा की खेती भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग में राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश राज्यों में की जाती है। अश्वगंधा की खेती राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है।

अश्वगंधा की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

अश्वगंधा की खेती के लिए रेतीली, दोमट और लाल मिट्टी बहुत उपयुक्त होती है। अगर मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के बीच रहता है तो अश्वगंधा की उपज अच्छी हो सकती है। अश्वगंधा को अपेक्षाकृत गर्म क्षेत्रों में बोया जाता है। अश्वगंधा की खेती के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान और 500 से 750 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है। पौधे की वृद्धि के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। शरद ऋतु में 1 से 2 वर्षा में अश्वगंधा की जड़ें अच्छी तरह विकसित हो जाती हैं।


अश्वगंधा की खेती के लिए अनुकूल समय

इसकी खेती सितंबर-अक्टूबर के महीने में की जाती है। अच्छी फसल के लिए मिट्टी नम और मौसम शुष्क होना चाहिए। रबी सीजन में बारिश हो जाए तो फसल अच्छी हो जाती है। खेत की जुताई के समय जैविक खाद का प्रयोग करें। 10-12 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर बुवाई के लिए पर्याप्त होता है। बीज 7-8 दिनों में अंकुरित हो जाते हैं।


अश्वगंधा की खेती में फसल की कटाई

सूखे पत्ते और लाल-नारंगी जामुन परिपक्वता और फसल के समय का संकेत देते हैं। अश्वगंधा की फसल बुवाई के 160-180 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। अश्वगंधा की कटाई जनवरी से मार्च तक चलती है। इसे उखाड़कर पौधों को जड़ से अलग कर दिया जाता है। जड़ को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर सुखाया जाता है। बीज और सूखी पत्तियों को फल से अलग कर लिया जाता है। इन्हें काटकर, इनकी जड़, पत्ते और छाल को अलग करके और इन्हें बाजार में बेचकर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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