Arhar Farming : दलहनी फसलों में अरहर की खेती एक विशेष फसल है और यह लोगों की पसंदीदा भी है। अरहर की फसल अन्य कई फसलों की तुलना में थोड़े अधिक समय में तैयार होती है, लेकिन कम लाभदायक नहीं है। लेकिन आजकल अरहर की कई उन्नत किस्में हैं जो कम समय में उत्पादन देती हैं। अरहर की यह उन्नत किस्म देगी बंपर कमाई, बड़े मुनाफे के लिए अपनाएं यह तरीका, कुछ ही दिनों में देश में मानसून आने वाला है। ऐसे में किसान भाई फसलों की बुआई के लिए खाद व उन्नत किस्म के बीजों का चयन कर रहे है। जो इस बारिश के आधार पर बेहतर उत्पादन दे सकें। ऐसे में आज हम आपको अरहर की एक नई विकसित किस्म के बारे में बताएंगे। जिसकी खेती करने से किसानों को बेहतर लाभ मिलेगा और उनकी आय में भी वृद्धि होगी।
अरहर 'कुदरत ललिता' (Arhar 'Kudrat Lalita')
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रकाश सिंह रघुवंशी, ग्राम-तड़िया, पोस्ट-जक्खिनी, जिला-वाराणसी, उत्तर प्रदेश ने अरहर में 'कुदरत ललिता' नामक प्रजाति विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि यह किस्म भारत के विभिन्न राज्यों जैसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए बेहतर साबित होगी। यह प्रजाति 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है और दालों की मात्रा 80 प्रतिशत से अधिक होती है।
कीट और रोगों से मुक्त है अरहर 'कुदरत ललिता'
इसके अलावा यह इस प्रजाति में लगने वाले सभी कीट और रोगों से मुक्त है। इसमें फली छेदक एवं फल मक्खी का प्रकोप नहीं होता है। यह प्रजाति जैविक खेती में भी अधिक से अधिक उपज दे सकती है और इसका दाना गोल होता है। इस वजह से दाल बनाते समय बहुत कम टूटती है। इसकी दाल बहुत ही मीठी और स्वादिष्ट होती है।
अरहर की फसल की खेती
अरहर की फसल की विशेषता यह है कि यह भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है तथा असिंचित एवं शुष्क क्षेत्रों में भी अरहर की खेती की जा सकती है। लेकिन अरहर की खेती के लिए ऐसा खेत चुनें जिसमें पानी का ठहराव न हो। नहीं तो अत्यधिक सिंचाई और बारिश के दौरान खेत में पानी के ठहराव के कारण पौधे खराब हो सकते हैं। अरहर की बुआई खरीफ के मौसम में जून माह तक कर देनी चाहिए। विलम्ब होने पर बुआई जुलाई के प्रथम पखवाड़े तक भी की जा सकती है।
अरहर 'कुदरत ललिता' की खेती का तरीका
- अरहर 'कुदरत ललिता' की बुवाई के लिए बीज दर 10 से 15 किग्रा प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
- इस किस्म की बुवाई का उचित समय 20 जून से 30 जुलाई होता है।
- बुवाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी को कम से कम 75 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी को 30 से.मी. बना कर रखना होगा।
- अरहर की किस्म 'कुदरत ललिता' बोने से लेकर पकने तक में 210 दिन का समय लेती है।
- अरहर की यह प्रजाति 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है।
प्रकाश सिंह रघुवंशी का कहना है कि अरहर उत्पादन के क्षेत्र में यह प्रजाति काफी योगदान देगी। अगर आप भी प्रकाश जी के द्वारा विकसित की गयी किस्मों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप उनके इन दिए गए नंबरों (9839253974, 9793153755) के माध्यम से उनसे सम्पर्क कर सकते हैं।