चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लॉकडाउन के दौरान आम के बागवानों के लिए एडवाइजरी जारी कर कहा है कि माह अप्रैल में आम के बागों की विशेष रूप से देखभाल की आवश्यकता होती है।
उद्यान विभागाध्यक्ष डॉ. वीके त्रिपाठी ने कहा कि ठंड की लम्बी अवधि होने के कारण आम में बौर देर से तथा कम आए हैं। साथ ही कुछ क्षेत्रों में मार्च माह में ओलावृष्टि व तेज हवाओं के कारण आम की फसल को काफी क्षति हुई है। ऐसे में फसल प्रबंधन की जरूरत है। इस समय आम के पेड़ों पर मटर के दानों से भी बड़े फल बन चुके हैं। इस समय भुनगा कीट की समस्या होती है। इसकी रोकथाम के लिए थाईमैंथजाम 25 डब्ल्यू जी की एक ग्राम मात्रा को प्रति 3 लीटर पानी के हिसाब से घोलकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए।
आम में स्केल कीट भी लगता है जो टहनियों, बौरो एवं फलों में चिपक कर रस चूसता है तथा यह कीट सफेद रंग का होता है। इसके नियंत्रण हेतु डाईमेंथोएट 30 ईसी की 2 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों, शाखाओं और बौरो पर छिड़काव करना चाहिए।
खर्रा रोग के रोकथाम को हेक्कोसानाजोल 50 एसएल की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर देने से इसका नियंत्रण हो जाता है। मीडिया प्रभारी डॉक्टर खलील खान ने बागवानी के किसानों से अपील की है कि आम के बागों में कार्य करते समय मुंह पर मास्क लगाएं व सामाजिक दूरी अवश्य बनाए रखें।