Potato Farming: देश में साल भर आलू की मांग बनी रहती है. इसलिए हमारे देश में आलू की खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। आलू की कई किस्में होती हैं, लेकिन 'कुफरी पुखराज' खास होता है. यह किस्म उत्तर भारत में बहुत लोकप्रिय है। कुफरी पुखराज किस्म कम अवधि में उच्च आलू उत्पादन के लिए भी जानी जाती है। ICAR के मुताबिक, अगर आप आलू की खेती व्यापार की दृष्टि से करना चाहते हैं तो आपको 'कुफरी पुखराज' किस्म को प्राथमिकता देनी चाहिए. यह किस्म उत्तर भारत में काफी लोकप्रिय है. कम अवधि में अधिक आलू उत्पादन के लिए भी इस किस्म को जाना जाता है। ICAR ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है-
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICRA) के अनुसार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़, असम और ओडिशा में उत्तरी भारत के कुल आलू क्षेत्र का 80% से अधिक और लगभग आधा हिस्सा है। देश में कुल आलू क्षेत्र का। लगभग 33% कवर करता है। वर्ष 2021-22 के दौरान कुफरी पुखराज किस्म से 4,729 करोड़ रुपये के वार्षिक आर्थिक लाभ का अनुमान है।
कुफरी पुखराज (Kufri Pukhraj) : यह एक अगेती मध्यम किस्म है। इसके कंद पीली त्वचा वाले, गोल अण्डाकार, आंखें हल्की धंसी हुई व गूद्दा हल्का पीला रंग लिए होते हैं। रोपाई के 75 दिन के बाद खोदने पर इसकी औसतन पैदावार 90 क्विंटल तथा 90-100 दिन बाद खोदने पर 140-160 क्विंटल प्रति एकड़ ली जा सकती है। यह किस्म अगेती अंगमारी रोग के प्रति प्रतिरोधित व पछेती अंगमारी रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधित है।
आलू की खेती की तैयारी
आलू की बिजाई के लिए मोल्ड बोर्ड या डिस्क हल से एक गहरी जुताई, तत्पश्चात डिस्क हैरो या कल्टीवेटर, रोटावेटर से दो या तीन हल्की जुताई पर्याप्त होती है। प्रत्येक जुताई के बाद मल्चिंग करनी चाहिए। ध्यान रहे कि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो तथा खरपतवारों से मुक्त हो।
बुवाई का समय
उत्तर पूर्वी मैदानी इलाकों में आलू की बुवाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के मध्य तक है और विभिन्न क्षेत्रों में आलू की बुवाई का सही समय तापमान, मिट्टी की स्थिति और फसल चक्र में लगाई गई फसल आदि पर निर्भर करता है।
आलू एक नकदी फसल है
आपको बता दें कि आलू एक प्रमुख नकदी फसल है। इसमें स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन-सी और खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अधिक उपज देने वाली किस्मों की समय पर बुवाई, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग, उचित कीटनाशक, उचित जल प्रबंधन और आलू के अधिक उत्पादन से किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है।