आइये जानते है जीरा की उन्नत खेती और उन्नत किस्मों के बारे में

आइये जानते है जीरा की उन्नत खेती और उन्नत किस्मों के बारे में
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Kisaan Helpline

Crops Jul 19, 2021

जीरा का वानस्पतिक नाम है, Cuminum cyaminum जीरा मसाले वाली मुख्य बीजीय फसल है। देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्य में उगाया जाता है। देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात व राजस्थान राज्य में उगाया जाता है। यह विभिन्न खाद्य तैयारी स्वादिष्ट बनाने के लिए भारतीय रसोई में इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण मसाला है। जीरा बड़े पैमाने पर भी विशेष रूप से मोटापा, पेट दर्द और dyspesia जैसी स्थितियों के लिए विभिन्न आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। जीरे की औसत उपज (380 कि.ग्रा.प्रति हे.)पड़ौसी राज्य गुजरात (550कि.ग्रा.प्रति हे.)कि अपेक्षा काफी कम है। उन्नत तकनीकों के प्रयोग द्वारा जीरे की वर्तमान उपज को 25-50 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

खेत की तैयारी : दो तीन जुताई कर मिटटी को भुरभुरी बना लें जिन खेतों में दीमक या अन्य भूमिगत कीड़ों का प्रकोप हो वहां बुआई पूर्व क्लोरोपायरीफॉस चूर्ण 20-25 किग्रा./हेक्टेयर की दर से खेत में डालकर जुताई करना चाहिए। बीज की मात्रा : 10-12 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।

बोने का समय : मध्यप्रदेश में जीरा बोने के लिए नवम्बर महीना उपयुक्त है। बीजोपचार : बुआई के पहले बीजों को मैलिक हाइड्राजाइड या इण्डोल-3 एसिटिक अम्ल के 100 पी.पी.एम. घोल से उपचारित कर बोने से शीघ्र अंकुरण होता है बोने से पहले बीज को वेबिस्टीन एवं कर्बेडाजिम (2+1 ग्राम) नामक फफूंदनाशक दवा प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित कर लेना चाहिए जिससे जीरे के झुलसन या ब्लाईट रोग के नियंत्रण में सहायता मिलती है।

खाद एवं उर्वरक : अच्छी फसल लेने के लिए अन्तिम जुताई से एक सप्ताह पूर्व प्रति हेक्टयर 20-25 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें। इसके अलावा 30 किग्रा नाइट्रोजन 50 किग्रा फास्फोरस तथा 15 किग्रा पोटाश/हेक्टेयर की दर से पर्याप्त है। फस्फोरस पोटाश की पूरी मात्रा एवं नत्रजन की आधी मात्रा बुआई से पहले खेत में दें। नत्रजन की शेष बची आधी मात्रा को बुआई के लगभग 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग करें।

उन्नत जातियां :
गुजरात जीरा - 1 : गुजरात कृषि विश्व विद्यालय से विकसित 100-105 दिन में पकने वाली तथा 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली जाति है।
एम. सी. 43 : गुजरात कृषि विश्व विद्यालय से विकसित किस्म है जो 115-120 दिन में पक जाती है 6-7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है तथा उखटा एवं झुलसा रोग प्रतिरोधी जाती है।
आर.एस.-1 : कृषि अनुसंधान केन्द्र दुर्गापुरा राजस्थान से विकसित की गई। जाति 85-90 दिन में पक जाती है तथा 7-8 क्विंटल / हेक्टेयर तक उपज देती है। 4. आर जेड 19 : श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि महाविद्यालय जोबनेर राजस्थान से विकसित जाति, 125 दिन में पक जाती है। 10 क्विटल/हेक्टेयर तक उपज देती हैं।
बीजापुर-5 : इसका बीज बड़ा तथा स्थानीय जातियों से अधिक उत्पादन देने वाली जाति हैं।


जीरा की व्यावसायिक खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें: https://www.kisaanhelpline.com/crops/rabi/13_Cumin 

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