कृषि व्यवसाय: रबी के सीजन की शुरुआत हो चुकी है। इस सीजन में मुख्य रूप से ज्वार और गेंहूं की खेती की जाती है। हालांकि, पिछले कुछ समय से किसान इन फसलों के माध्यम से मनचाहा मुनाफा नहीं कमा पा रहे हैं। अगर आप कम समय में अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं। तो आज हम आपको एक ऐसा बिजनेस आइडिया देने जा रहे हैं जिसमें आप घर बैठ अच्छा पैसा कमा सकते हैं। दरअसल, हम जिस बिजनेस आइडिया (Business Idea) की बात कर रहे हैं वो है सूरजमुखी की खेती (sunflower cultivation), तो आइये जानते हैं इस फूल की खेती से जुड़ी जरुरी बातें।
Sunflower Farming: सूरजमुखी को तिलहन फसलों की श्रेणी का माना जाता है. इसकी खेती कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार में व्यापक रूप से की जाती है। इसके लिए रेतीली दोमट मिट्टी और काली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा मिट्टी का पीएच 6.5 और 8.0 के बीच होना जरूरी है। सूरजमुखी की खेती (Sunflower Farming) के लिए खेत को तैयार करने के लिए लगभग 2-3 जुताई की जरूरत होती है।
सूरजमुखी, "हेलियनथस" नाम 'हेलियस' अर्थ 'सूर्य' और 'एन्थस' अर्थ 'फूल' से लिया गया है। इसे सूरजमुखी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य का अनुसरण करता है, हमेशा अपनी सीधी किरणों की ओर। यह देश की महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। सूरजमुखी का तेल अपने हल्के रंग, ब्लैंड फ्लेवर, हाई स्मोक पॉइंट और उच्च स्तर के लिनोलेइक एसिड के कारण सबसे लोकप्रिय है जो हृदय रोगी के लिए अच्छा है। सूरजमुखी के बीज में लगभग 48- 53 प्रतिशत खाद्य तेल होता है। यह भारत में 1969-70 में हुई खाद्य तेल की कमी के बाद उगाई जाने लगी है। सूरजमुखी का तिलहनी फसलों में खास स्थान है। हमारे देश में मूंगफली, सरसों, तोरिया व सोयाबीन के बाद यह भी एक खास तिलहनी फसल है।
बुवाई का समय
सूरजमुखी की बुवाई जनवरी के अंत तक कर देनी चाहिए। यदि आप इसे फरवरी में बो रहे हैं तो बीज का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे उपज कम हो सकती है। प्रत्यारोपण तकनीक का प्रयोग करें।
पौधे से पौधे की दूरी
पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी रखें। वहीं, पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी रखना सबसे उपयुक्त है।
बीज की मात्रा
बीज की मात्रा उन्नत किस्मों का 4 किग्रा तथा संकर किस्मों का 1.5 से 2 किग्रा बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है।
बीज उपचार का तरीका
सूरजमुखी के बीजों को लगभग 5 से 6 घंटों के लिए भिगो देना चाहिए। ऐसा करने से बीज जल्द अंकुरित होंगे। ध्यान रहे कि बीजों को भिगोने के बाद अच्छी तरह से छाँव में सूखा लें। इसके साथ ही अगर किसान बीजोपचार भी करते हैं तो फसल को बीज जनित रोगों से बचाया जा सकता है। बीजों पर थीरम 2 ग्राम प्रति किग्रा और डाउनी फफूंदी से बचाव के लिए मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किलो जरूर छिड़कें।
खेत की तैयारी
- खेत की तैयारी के लिये मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई की जाती है।
- खेत में उपस्थित घास - फूस व डण्ठलों आदि को इकट्ठा करके जला देना चाहिये।
- खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाने के लिये 2-3 बार हैरो चलानी चाहिये।
- प्रत्येक जुताई या हैरो के पश्चात् भूमि में नमी संरक्षण हेतु पाटा लगाना आवश्यक होता है।
सिंचाई
रबी के मौसम में उगाई जाने वाली फसल के लिये सामान्यत: 3-4 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। ये सिंचाइयाँ बुवाई के 40, 60 व 90 दिनों के बाद करनी चाहिये। जायद के मौसम की फसल के लिये अधिक पानी की आवश्यकता होती है। कुल 6 से 7 सिचाइयाँ देनी पड़ती हैं। बार-बार सिंचाई करने से बचें, क्योंकि इससे जड़ सड़ने और मुरझाने का खतरा बढ़ सकता है। भारी मिट्टी को 20-25 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। हल्की मिट्टी को 8-10 दिनों के अंतराल पर जरूरत पड़ती है।
पौधे का विकास के लिए आवश्यक सुझाव
मधुमक्खियां सूरजमुखी की फसल की आदर्श परागणक होती हैं। यदि मधुमक्खियां नहीं हैं, तो वैकल्पिक दिन सुबह के समय हाथ से परागण करना अच्छा होता है। इसके अलावा फसल की खेती के पहले 45 दिनों में आपको खेत को खरपतवारों से मुक्त रखना चाहिए। ऐसा करने पर आपके फसल के विकास में तेजी आ जाएगी।
कटाई का समय
इसकी कटाई प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब पौधे के सभी पत्ते सूख जाते हैं और सूरजमुखी के सिर का पिछला भाग पीला पड़ने लगता है। देर करने पर दीमक का हमला हो सकता है और फसल बर्बाद हो सकती है।
कमाई
बता दें इसका उपयोग आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस पौधे से निकलने वाला तेल का उपयोग दवाओं के लिए किया जाता है। इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए बहुत लाभदायक साबित होती है।