लक्षण
नए निकले हुए लार्वा पत्तियों को बड़ी तेज़ी से खाते हैं, जिसके कारण पत्तियों को बहुत नुकसान होता है उनके ऊतक छील जाते हैं और पत्ते पूरी तरह झड़ जाते हैं। लार्वा और वयस्क 15 से 35 डिग्री से. के मध्य तापमान पर तेज़ी से बढ़ते हैं।
कैसे करे इनकी पहचान ?
इनकी पहचान के आप इतना ध्यान रखे की वयस्क कीट का शरीर भूरा-कत्थई और सामने के पंख बहुरंगी होते हैं पंख के किनारों पर सफ़ेद लहर जैसे चिन्ह होते हैं। पिछले पंख पारदर्शी सफ़ेद होते हैं, जिनके किनारों और शिराएं के साथ भूरी रेखाएं होती हैं। लार्वा रात में खाते हैं और दिन में मिट्टी में शरण लेते हैं। लार्वा 15 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच पनपते हैं और 25 डिग्री सेल्सियस इनके लिए सबसे अनुकूल होता है। कम नमी और उच्च या निम्न तापमान उर्वरता इनके जीवन चक्र को बढ़ावा देती है।
जैविक नियंत्रण
1. नीम की पत्तियों या बीज का तेल तथा पोंगामिया ग्लाब्रा के बीजों का अवशेष भी मूंगफली की पत्तियों पर उपस्थित स्पोडोप्टेरा लिटुरा लार्वा पर विशेष प्रभावी होते हैं।
2. न्यूक्लियर पोलीहेड्रोसिस वायरस (एन.पी.वी.) या बेसिलस थुरिंजियेन्सिस पर आधारित जैव-कीटनाशक भी उपयोगी होते हैं।
3. कीटों पर परजीवी कवक नोम्यूरिया रिले तथा सेराशिया मार्केसेन्स को भी पत्तियों पर छिड़का जा सकता है।
रासायनिक नियंत्रण
छोटे लार्वा को रोकने के लिए इमामेक्टिन, इंडोक्सिकार्ब, बाईफ़ेन्थ्रिन या क्लोरनट्रेनिलिप्रोल पर आधारित उत्पादों सहित अनेक प्रकार कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग कीटों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकता है। एज़ाडिरेक्टिन का प्रयोग अण्डों पर किया जा सकता है और लार्वा को निकलने से रोका जा सकता है।
निवारक उपाय
1. जल्दी बुआई से कीटों की संख्या में वृद्धि नहीं होती है।
2. लम्बे सूखे से बचने के लिए मौसम के मध्य में नियमित रूप से सिंचाई करें।
3. सूरजमुखी, अरबी तथा एरंड के तेल के पौधे जाल फ़सलों के तौर पर लगाएं।
4. ओकिमम एसपीपी. (बैसिलिकम) जैसे कीटों को दूर रखने वाले पौधे लगाएं।
5. अपने औज़ारों और उपकरणों की स्वच्छता का ध्यान रखें।
6. स्पोडोप्टेरा प्युपे को प्राकृतिक दुश्मनों और मौसम सम्बन्धी कारकों के समक्ष लाने के लिए गहरी जुताई करें।