पॉली ग्रीन हाउस तकनीक
पॉली ग्रीन हाउस पॉलिथीन शीट का इस्तेमाल करके बनाया जाता है इसलिए इसे पॉली हाउस कहते है। अगर इसके सामान्य आकर की बात की जाये तो इसका आकार 25 मीटर 5 मीटर रखा जाता है। पॉली ग्रीन हाउस का फ्रेम जंग रहित लोहे के पाइप से तैयार किया जाता है, जिसे 600 गैज की पॉलिथीन से ढक दिया जाता है।
अंदर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए बिजली से चलने वाले उपकरण जैसे कूलर और हीटर का इस्तेमाल किया जाता है।
सब्जियों में ड्रिप सिंचाई पद्धति
समुचित जल प्रबंधन बहुत ही आवश्यक है, क्युकी ऐसा करने से सब्जियों की अधिक उपज, गुण तथा स्वाद बने रहते है। सब्जियों में ड्रिप सिंचाई के तरीके काफी अच्छे साबित हुए है। इस तरीके से सिंचाई करने से 50 से 60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है और सब्जियों की उपज जल्दी, गुणवत्ता वाली तथा अधिक होती है क्यूंकि पौधों को पानी बराबर नियंत्रित मात्र में मिलता रहता है।
जैविक उर्वरकों का उपयोग
सब्जियों में उर्वरक काफी प्रभाव डालते है। जैव उर्वरकों में उपलब्ध सूक्ष्म जीव वातावरण से नाइट्रोजन लेकर पौधों तक पहुंचाते है। इन जैव उर्वरकों के प्रयोग से वानस्पतिक वृद्धि के साथ-साथ अधिक उपज भी मिलती है। इनके प्रयोग से विभिन्न पोषक तत्वों जैसे- नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निसियम, जिंक, कॉपर, मैगनीज की उपलबध्ता बढ़ जाती है।
संकर किस्मों का विकास -
इसके अंतर्गत अधिक उपज , फसलों का आकर्षक रंग , सुडोल आकार, कीट व रोगों की प्रतिरोधकता तथा अधिक समय तक भण्डारण क्षमता संकर किस्मों की मुख्या विशेषताये है। टमाटर, बैंगन, पत्तागोभी, भिन्डी, मिर्च, फूलगोभी, खरबूजा, तरबूजव कुश्मांड कुल की सब्जियों में संकर किमों का प्रयोग अधिक हुआ है। काफी समय तक इसका अच्छा प्रयोग देखने को मिला है, और इसकी उपज भी काफी अच्छी होती है।