वर्तमान में देश के कई हिस्सों में गेहूं की खेती करने वाले किसानों की फसल पीली पड़ने लगी है। फसल में फैल रही इस बीमारी से किसान काफी परेशान हैं। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के कृषि वैज्ञानिक मार्कंडेय सिंह ने बताया कि गेहूं का पीलापन दो तरह का होता है। एक कारण तो यह है की फसल पर मौसम का प्रभाव और दूसरा पोषक तत्वों की कमी।
कभी-कभी केवल पत्तियां पीली होती हैं। यह रोग ठंड और कोहरे के कारण होता है, जबकि गेहूं की पत्तियों को छूने से हाथों पर पीला पाउडर दिखाई देता है, तो यह फसलों के लिए गंभीर हो सकता है। उन्होंने कहा कि ठंड और कोहरे के कारण गेहूं के पत्तों का पीलापन तेज धूप से दूर हो जाता है। उन्होंने किसानों को फसलों में यूरिया का छिड़काव करने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को यूरिया के साथ जिंक सल्फेट का छिड़काव गेहूं की फसल पर करने को कहा गया है।
फिलहाल देश के कई क्षेत्रो में गेहूं की फसल में दूसरा और तीसरा पानी डाला जा रहा है। क्षेत्र के कई गांवों में गेहूं की फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं। इसको लेकर किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने समय पर बुवाई, पानी पिलाया, खाद डाली, लेकिन इसके बावजूद गेहूं की फसल पीली पड़ने लगी है। किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि कहीं यह बीमारी भविष्य में और न फैले।
गेहू के पत्ते पीले हो रहे हैं
गेहूँ में पीली पत्ती रोग कोई रोग नहीं है, बल्कि पूर्ण पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधों में जिंक की कमी के कारण होता है। इसके लिए 10 किलो जिंक प्रति एकड़ बुवाई के समय डालना चाहिए। वर्तमान में गेहूं की फसल पर 100 लीटर पानी में आधा किलो जिंक और 2.5 किलो यूरिया मिलाकर एक पंप से छिड़काव करना चाहिए। इससे पीली पत्तियों का पीलापन दूर हो जाएगा।