Agriculture Machinery: आजकल खेती के अधिकतर कार्य इंजन चालित यंत्रों से होते है, जिस वजह से खेती का खर्च बढ़ता जा रहा है। कृषि यंत्रों का सही ढंग से उपयोग करके किसान ईंधन खपत को कम कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है :
नई मशीन के साथ दी गई निर्देश पुस्तिका को ध्यान से पढ़ें और उसमें दिए गए निर्देशों के अनुसार ही मशीन का प्रयोग करें।
अपने ट्रैक्टर की हर रोज़ जांच-पड़ताल करें। हर सैकेंड एक बूंद भी टपकती रही, तो प्रति वर्ष 2000 लीटर डीज़ल का नुकसान होगा।
इंजन चालू करने पर यदि टैपिट से आवाज़ आए, मतलब इंजन में हवा कम जा रही है, उसे ठीक करवाएं अन्यथा डीजल की खपत बढ़ेगी।
इंजन शुरू करने पर कुछ काला धुआं निकलता है, पर यह जल्दी ही स्वयंः साफ हो जाता है। किन्तु लगातार काला धुआं निकले, मतलब है, इंजन पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है या इंजेक्टर अथवा इंजेक्शन पम्प की कोई खराबी है। अतः काम के बोझ को उतना ही रखें, जिससे इंजन काला धुआं ना दे तथा डीज़ल भी ज्यादा ना लगे ।
इंजन चालू करने के बाद कुछ देर गर्म होने दें। ठंडे इंजन से काम लेने पर पुर्जों में घिसावट अधिक होगी एवं डीज़ल भी अधिक खर्च होगा।
ट्रैक्टर की निर्देश पुस्तिका में दिए गए सुझाव अनुसार ही पहियां में हवा दबाव रखें अन्यथा डीजल की खपत बढ़ जाएगी।
ट्रैक्टर से खेत में चौड़ाई के बजाए लम्बाई में कार्य करें। इस प्रकार खेत के किनारों पर घूमने में कम समय लगेगा। ट्रैक्टर का खाली घूमना कम होगा।
उपकरणों का आकार और ट्रैक्टर चलाने की रफ्तार वैसी ही रखें, जो इंजन की पूरी शक्ति से मेल खाए। ऊंचे से नीचे गीयर में चलाएं, लेकिन ट्रैक्टर से धुंआ ना निकले। अगर आपका ट्रैक्टर टॉप गीयर में भी पूरी गति के साथ आगे बढ़ता है, तो आपका उपकरण बहुत छोटा है। एक बड़ा उपकरण या कई उपकरणों की मिली-जुली व्यवस्था से आपको ट्रैक्टर की शक्ति का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने और डीजल की बर्बादी रोकने में मदद मिल सकती है।
अगर आप छोटे आकार के उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं या कम स्पीड पर चलते हैं, तो ईंधन की खपत 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। पम्प सेट या थ्रैशर इत्यादि के लिए इंजन को उतने ही चक्करों पर चलाएं, जिससे मशीन को पूरे चक्कर मिल सकें। मशीनों को अधिक चक्करों पर चलाने से ईंधन खर्च बढ़ने के अतिरिक्त टूट-फूट की संभावना भी बढ़ जाती है।
पम्प सेट में अधिक बड़ा या छोटा पम्प या इंजन प्रयोग करने से डीज़ल की लागत बढ़ती है और पानी कम मिलता है। अतः जल की उपलब्धता के अनुसार ही सही इंजन और पम्प का चुनाव करें, जो कम खर्च में अधिक पानी दें।
पम्प सेट को पानी की सतह के करीब लगाकर खर्च में बचत करें। पम्प को चलाने वाले पट्टे (बेल्ट) को सही कस कर रखें। पट्टे में कम से कम जोड़ हों तथा पट्टे और घिर्नियों को एक सीध में रखें।
पम्प सेट से पानी बाहर फेंकने वाले नल को जितना ज्यादा उठाया जाएगा, तो उतना ही अधिक डीजल खर्च होगा। इसे उतना ही ऊंचा उठाएं, जितने की आवश्यकता हो।
इंजन ऑयल अधिक पुराना होने पर उसकी शक्ति घटने लगती है तथा अधिक खर्च होने लगता है। इसलिए निश्चित समय पर इंजन के तेल और फ़िल्टर को बदलें।
नवीन कुमार, मुकेश जैन एवं प्रवीन, फार्म मशीनरी एवं ऊर्जा अभियांत्रिकी विभाग, चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार