विश्व पर्यावरण दिवस 2021: पर्यावरण और मानव का सम्बन्ध

विश्व पर्यावरण दिवस 2021: पर्यावरण और मानव का सम्बन्ध
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Kisaan Helpline

Agriculture Jun 05, 2021

स्वस्थ पर्यावरण के बिना मानव जीवन की कल्पना असंभव है, पर्यावरण और मावन का एक अटूट सम्बन्ध हैं। पारिस्थितिकी तंत्र इस पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवन का आधार है। जंगल, पहाड़, नदियां, झील, तालाब, समुद्र, कृषि भूमि-ये सभी विविधताएं एक स्वस्थ और संपन्न मानव जीवन की प्राण शक्तियां हैं। हर कोई पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं पर पूरी तरह निर्भर है, चाहे वह भोजन सामग्री हो, जल हो, ईंधन हो या फिर कूड़े-करकट का प्राकृतिक निदान, वायु शद्धिकरण, मृदा निर्माण, परागण आदि हो। हमारी पृथ्वी को रहने लायक बनाए रखने में पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका सबसे बड़ी है। यह जितना स्वस्थ होगा, पृथ्वी और उसके लोग भी उतने ही स्वस्थ होंगे, किंतु हमारे अनुचित क्रिया-कलापों ने पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। परिणामस्वरूप भूमि, जल और वायु, इन सभी की उपलब्धता और गुणवत्ता में न केवल तीव्र गिरावट हुई है, बल्कि इनके अनेक घटक विषाक्त भी हो गए हैं। यह मानव और पर्यावरण, दोनों के लिए चिंताजनक है। यदि समय रहते इन गंभीर चिंताओं का निराकरण नहीं किया गया तो एक दिन पृथ्वी से मानव जीवन ही समाप्त हो सकता है। 

पारिस्थितिकी तंत्र में हुई क्षति का अर्थ यह नहीं कि मनुष्य अपने क्रिया-कलापों को रोक दे और हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाए। अच्छी बात यह है कि पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार किया जा सकता है। विगत तीन दशकों में पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न घटकों जैसे वनों, चरागाहों, नदियों, महानगरों और शहरी आवास आदि के बेहतर रख-रखाव की अनेक विधियां विकसित हुई हैं। इसके साथ ही स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों, हरित गैसों के उत्सर्जन में कटौती, कचरा प्रबंधन, मृदा संरक्षण, बीज विज्ञान जैसे विषयों को भी महत्व दिया जा रहा है।

पारिस्थितिकी तंत्र के क्षति का कारण कही न कही कृषि क्षेत्र भी हैं। किसान अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु वृक्षो की कटाई, वन भूमि को कृषि भूमि में बदलना, अत्यधिक रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग आदि कई कारण है जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को हानि हो रही हैं। रसायन युक्त कृषि उत्पाद का प्रयोग मानव के जीवन में कई तरह की बीमारियों का कारण बन रहा हैं। पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ करने के लिए जैविक खेती, वृक्षारोपण, मिट्टी कटाव को रोकना, जल संरक्षण और पर्यावरण के हित में अनेक विषयों को महत्त्व देना अनिवार्य हैं।

"एक कदम हरियाली की ओर, आओ पर्यावरण बचाएं, हरे भरे पौधे को लगाकर, पृथ्वी को दुल्हन सा सजाएं"

"जैविक खेती अपनाये, आओ पर्यावरण बचाएं"

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