Agriculture Advisory: भारत के कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों के लिए खेती से जुड़ी सलाह जारी करते है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार देर से बोई गई गेहूं की फसल यदि 21-25 दिन की हो जाए तो आवश्यकतानुसार पहली सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई के 3-4 दिन बाद नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा का छिड़काव करना चाहिए। गेहूं की फसल में यदि दीमक के लक्षण दिखाई दे रहे हों तो क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 2.0 लीटर के साथ 20 किलोग्राम रेत का मिश्रण शाम के समय लगाना चाहिए और बाद में सिंचाई की सलाह दी जाती है।
देर से बोई गई सरसों की फसल में निराई-गुड़ाई की सलाह दी जाती है। वर्तमान मौसम की स्थिति में सरसों की फसल में माहू एवं सफेद रतुआ की निरंतर निगरानी की सलाह दी जाती है।
चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए यदि फूल 10-15% तक पहुंच गया हो तो प्रति एकड़ 3-4 ट्रैप की दर से फेरोमोन ट्रैप लगाने की सलाह दी जाती है। कीटों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए फसल के खेत और उसके आसपास "टी" आकार के पक्षियों के बैठने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
सब्जीवर्गीय फसलों के लिए उपयोगी सलाह
- गोभीवर्गीय फसल में डायमंड बैक मोथ, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक कीट की आबादी की निगरानी के लिए, प्रति एकड़ 3-4 जाल की दर से फेरोमोन जाल लगाने की सलाह दी जाती है।
- वर्तमान मौसम की स्थिति में पत्तागोभी, फूलगोभी, नॉलखोल आदि की पछेती किस्मों की स्वस्थ पौध का प्रत्यारोपण मेड़ों पर किया जा सकता है।
- वर्तमान मौसम की स्थिति में पालक, धनिया, मेथी की बुआई की जा सकती है। पत्ते के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रति एकड़ 20 किलोग्राम यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है।
- सापेक्षिक आर्द्रता अधिक होने के कारण आलू एवं टमाटर में झुलसा रोग का संक्रमण हो सकता है। लगातार निगरानी की सलाह दी जाती है. यदि लक्षण दिखाई दें तो कार्बेंडिज़म @ 1.0 ग्राम/लीटर पानी या डाइथेन-एम-45 @ 2.0 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
- वर्तमान मौसम की स्थिति में समय पर बोई गई प्याज की फसल पर थ्रिप्स के हमले और बैंगनी धब्बा के संक्रमण की निरंतर निगरानी की जानी चाहिए। चिपचिपे पदार्थ (टिपोल 1.0 ग्राम/लीटर) के साथ 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में डायथेन एम-45 का आवश्यकता आधारित छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
- मटर की फसल में फलियों के उचित विकास के लिए 2% यूरिया का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है।
- अगेती कद्दूवर्गीय फसलों की पौध तैयार करने के लिए पॉली हाउस में छोटे पॉलिथीन बैग में पौध तैयार की जा सकती है।