उन्नत खेती के लिए नवंबर माह में कृषि और बागवानी के ये काम जरूर करे

उन्नत खेती के लिए नवंबर माह में कृषि और बागवानी के ये काम जरूर करे
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Kisaan Helpline

Agriculture Oct 25, 2019

किसानों के पास ये जानकारी होनी बेहद जरुरी है की वे उन्नत तरीके से खेती कैसे करे, और कौन से माह में क्या करना जरुरी है क्योंकि, अनुकूल मौसम फसलों के विकास को बहुत प्रभावित करता है। तो जानिए नवंबर माह में किस प्रकार उन्नत खेती करे-

धान :- सबसे पहले धान की शेष पकी फसल की कटाई कर लें।

गेहूं :- इस महीने धान की कटाई करने के बाद गेहूं की उन्नत खेती के लिए खेत की तैयारी जल्द से जल्द कर लें, इस बात पर विशेष ध्यान दें कि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाये और मिट्टी के ढेले न रहे। गेहूं की बुवाई हेतु प्रमाणित और शोधित बीज का ही उपयोग करें, अगर बोन वाला बीज शोधित न हो तो प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम से शोधित कर लें। खाद और बीज एक साथ डालने के लिए फर्टी-सीड ड्रिल का प्रयोग करना अच्छा रहेगा।

चना:-  बुवाई के 30-35 दिन के बाद निराई-गुड़ाई कर लें.

मटर:- मटर की फसल में बुवाई के 20 दिन के बाद निराई कर लें, और बुवाई के 40-45 दिन बाद पहली सिंचाई अवश्य करें। इसके बाद 6-7 दिन बाद ओट आने पर हल्की गुड़ाई भी कर दें।

मसूर:- मसूर की बुवाई के लिए 15 नवंबर तक का समय उचित होता है।

शीतकालीन मक्का:- इसकी सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था होने पर रबी मक्का की बुवाई नवंबर महीने के मध्य तक पूरी कर लें। बुवाई के लगभग 25-30 दिन बाद पहली सिंचाई आवश्यक रूप से कर दें।

शरदकालीन गन्ना:- बुवाई के 3-4 सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई कर लें।

खेत में आलू की बुवाई यदि अक्टूबर में न हो पायी हो तो अब इस काम को जल्दी पूरा कर लें। 

टमाटर की बसंत/ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई कर दें।

प्याज की रबी फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई करें।

फलों की खेती

आम एवं अन्य फलों के बाग में जुताई करके खरपतवार नष्ट कर दें।

आम के पौधों में मिलीबग कीट के नियंत्रण के लिए तने और थाले के आसपास मैलाथियान 5 प्रतिशत एवं फेनेवैलरेट 0.4 प्रतिशत घूल 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारों तरफ बुरकाव तथा तने के चारों ओर एल्काथीन की पट्टी लगायें।

अगर फूलों की खेती की बात की जाये, तो देशी गुलाब की कलम काटकर अगले वर्ष के स्टाक हेतु क्यारियों में लगा दें। 

ग्लेडियोलस में स्थानीय मौसम के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार सिंचाई करें। 

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