Agri_Business: सत्तू का प्रयोग लोग उत्तर भारत के इलाकों खासकर बिहार, झारखंड और यूपी में ज्यादा करते हैं। बिहार में सत्तू से तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। बिहार के लिट्टी-चोखा से लेकर सत्तू परांठे तक पूरे देश में मशहूर हैं। सत्तू के सेवन से सेहत भी फायदेमंद होती है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शख्स की जिसने अपनी नौकरी छोड़कर सत्तू को दुनिया भर में ले जाने के लिए अपना स्टार्टअप शुरू किया। सचिन की कहानी बहुत दिलचस्प रही है।

Unique Startup Story: सचिन बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के इलाकों में 14 अप्रैल को सतुआनी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सत्तू खाने का बहुत महत्व होता है। इसलिए उन्होंने आज ही के दिन अपना स्टार्टअप शुरू किया था। उन्होंने कहा कि वह पिछले एक दशक से इस योजना पर काम कर रहे हैं। ग्रेजुएशन के बाद जब मैं MBA कर रहा था, उस दौरान मैंने Entrepreneur की पढ़ाई की। मेरे अपने परिवार का खुदरा कारोबार (Retail Business) है और तब मुझे एहसास हुआ कि हम जो कारोबार कर रहे हैं, उसमें हम बाहर से माल मंगवा रहे हैं और बिहार में बेच रहे हैं, लेकिन बिहार का माल कहीं और नहीं ले जाया जा रहा है।

सचिन नौकरी छोड़कर साल 2008 में घर आ गए थे। इस फैसले से परिवार नाराज था। इस बीच वह कुछ ऐसा खोज रहे थे जो बिहार की पहचान बना सके। सत्तू पर उनकी तलाश खत्म हुई। उनका कहना है कि अगर कोई विदेशी भारत आता है तो वह इडली, लस्सी जैसी चीजें जानता है, लेकिन सत्तू के बारे में नहीं। सचिन ने वर्ष 2016 से पायलट स्टडी शुरू की थी। उन्होंने अलग-अलग जगहों पर यह जानने की कोशिश की कि सत्तू के बारे में कितना कुछ पता है।
Business of Sattu: सचिन सत्तू के उचित प्रसंस्करण (Processing) के लिए खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण लिया। फिर उन्होंने अपने उत्पाद को तैयार किया और उसका परीक्षण किया और फिर FSSAI प्रमाणीकरण प्राप्त किया। सत्तू में सुधार के साथ-साथ उन्होंने पैकेजिंग के आकर्षण पर भी जोर दिया। सचिन सत्तू को तीन फ्लेवर- जल जीरा, स्वीट और चॉकलेट में बाजार में पहुंचा रहे हैं। 20 रुपये से 120 रुपये के बॉक्स में बाजार में उपलब्ध है। इसके साथ ही एक चम्मच भी मिलता है, जिसे एक गिलास में पाउडर डालकर पानी में मिलाकर पीना होता है। यह कार्बोनेटेड पेय का एक अच्छा और पौष्टिक विकल्प है।
Start-up: सचिन अपने स्टार्टअप से आठ से 10 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। अपने स्टार्टअप के लिए उन्होंने आईआईएम कोलकाता से कर्ज लिया है और बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन से फंडिंग ली है। सत्तू को पूरे भारत में पहुंचाना पिछले साल उनके स्टार्टअप का रेवेन्यू करीब 10 लाख था। सिंगापुर से भी सत्तू के ऑर्डर मिले हैं।