कम लागत की खेती: किसानों के लिए खेती सबसे महत्वपूर्ण होती है और खेती के लिए अच्छी जुताई करना बहुत जरूरी है। अच्छी तरह से जुताई करने के बाद किसान खेत से अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं। आज के आधुनिक समय में खेत जोतना बहुत आसान हो गया है। खेती की जुताई के लिए ट्रैक्टर और हल (प्लाऊ) को सबसे अच्छा साधन माना जाता है। लेकिन इस तरह से खेत जोतने पर गरीब किसानों को काफी खर्चा उठाना पड़ता है। जिससे अधिकांश किसान अपने खेतों में मौसमी खेती नहीं कर पा रहे हैं। गरीब किसानों की इस समस्या का समाधान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों ने बिना जुताई के खेती की विधि के बारे में बताया है, जिसमें किसान अपने खेत में बिना जुताई के फसल से अधिक उपज प्राप्त कर सकता है। इस तरीके में किसान को ज्यादा खर्च भी नहीं करना पड़ेगा। तो आइए इस लेख में कृषि विशेषज्ञों के अनोखे तरीके के बारे में विस्तार से जानते हैं :
बिना जुताई की खेती ऐसे करें किसान
वर्तमान समय में कृषि वैज्ञानिकों ने इतनी प्रगति कर ली है कि अब किसान बिना जुताई के कई वर्षों तक खेती करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए किसानों को सिर्फ जैविक कचरा खेत में डालना होगा। उदाहरण के लिए, जीवामृत, नैनो यूरिया या डीकंपोजर को फसलों के ठूंठ, पत्ते, तने आदि के ऊपर छिड़कना होगा। ऐसा करने से खेत में फसल अवशेष पूरी तरह से खाद में बदल जाता है और मिट्टी को अच्छा पोषण मिलता है। इसके अलावा यह विधि खरपतवार की समस्या को भी दूर करती है। इस विधि से किसान अगली फसल को आसानी से खेत में बो सकते हैं। इसके लिए आपको बस सीड ड्रिल मशीन या अन्य कृषि मशीनरी की मदद लेनी होगी।
इस मामले में कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि खेत में बिना जुताई किये भी फसलों की खेती कर सकते हैं। इस विधि को अजमाकर कम खर्च में फसलों का दोगुना उत्पादन हासिल कर सकते हैं।
इस विधि में कई सालों तक मिट्टी में जुताई करने की जरूरत नहीं होती, बल्कि बिना जमीन को जोते ही कई सालों तक फसलें उगा सकते हैं। इससे किसानों का समय और मेहनत तो बचती ही है, साथ ही उत्पादन लेने में भी कोई समस्या नहीं आती, इस विधि से चना, मक्का, धान की भी खेती कर सकते हैं।
बिना जुताई की खेती के लाभ
- इस तरीके से खेती करने से फसल का कचरा खेतों में काम आती है और साथ ही प्रदूषण भी कम होता है।
- इसके अलावा इसके इस्तेमाल से किसानों के पैसे और समय दोनों की बचत होती है।
- इस तरीके से खेत में मौजूद बायो-वेस्ट और डी-कंपोजर मिलकर कई कमियों को दूर करते हैं।
- यदि किसान इस पद्धति का उपयोग करते हैं, तो खेत के अंदर और बाहर जैव विविधता की कोई समस्या नहीं है। बल्कि यह फसल से अच्छी उपज देता है।