‘सुखेत मॉडल’ से किसानों को लाभ, मिल रह है गोबर और कचरे के बदले गैस सिलेंडर, पीएम मोदी ने भी की सुखेत मॉडल की तारीफ

‘सुखेत मॉडल’ से किसानों को लाभ, मिल रह है गोबर और कचरे के बदले गैस सिलेंडर, पीएम मोदी ने भी की सुखेत मॉडल की तारीफ
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Kisaan Helpline

Agriculture Sep 04, 2021

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए राष्ट्र को संबोधित किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने पर्यावरण, प्रदूषण से लेकर आधुनिकीकरण समेत कई विषयों पर अपनी बात रखी। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने बिहार के मधुबनी जिले में चल रही एक पहल की प्रशंसा की। इस पहल का नाम 'सुखेत मॉडल' है, जिसे मधुबनी जिले के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय और वहां स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने मिलकर शुरू किया है। पीएम मोदी ने इसकी सराहना करते हुए 'सुखेत मॉडल' के फायदे भी गिनाए हैं।

बिहार के समस्तीपुर जिले के डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा द्वारा विकसित किया गया सुखेत मॉडल (sukhet model) का आज देशभर मे डंका बज रहा है। इसका जिक्र मन की बात में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) के करते ही देश और दुनिया के लोगों की नजर सुखेत मॉडल की ओर आकर्षित हुई हैं। पूसा केंद्रीय विश्वविद्यालय (Pusa University) का सुखेत मॉडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वकांक्षी उज्जवला योजना (ujjwala yojana) को सफल बनाने में मिल का पत्थर साबित होने जा रहा है। इस सुखेत मॉडल ने उज्जवला योजना के लिए नई क्रांति ला दी है।

गोबर और कचरों के बदले सुखेत मॉडल के तहत उज्जवला योजना के लाभुकों को मुफ्त में गैस सिलेंडर दिया जा रहा है। इस एक सुखेत मॉडल से प्रधानमंत्री मोदी के दो सपनों को और पंख लग जाएंगे। पहला देश की मां और बहनों को खाना बनाने के क्रम धुंआ से छुटकारा मिल जाएगा और दूसरा स्वच्छता अभियान भी सफल हो जाए।

सुखेत मॉडल के बारे में
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति डॉ रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने स्वच्छता मिशन अभियान और उज्जवला योजना को ध्यान में रखते हुए काफी अध्ययन के बाद गोबर और कचरों से वर्मी कंपोस्ट (जैविक खाद) तैयार करने की परियोजना बनाई। इस परियोजना को सबसे पहले मधुबनी जिले के सुखेत गांव में शुरू किया गया।  इसलिए इसे सुखेत मॉडल के नाम से जाना जा रहा है। पूसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गांव में एक किसान का पहले खेत लिया। उसके बाद उज्जवला योजना के लाभुकों के घरों से कूड़ा कचरा और गोबर 20-20 किलो प्रतिदिन इकट्ठा किया जाने लगा।

उसके बाद वैज्ञानिकों ने उस गोबर और कचरों से वर्मी कम्पोस्ट (जैविक खाद) तैयार करना शुरू कर दिया। जिसकी कीमत बाजारों में 600 रुपए प्रति क्विंटल बताई जाती है। अब जैविक खाद की बिक्री से जो आमदनी होने लगी उससे उज्जवला योजना के परिवार को कचरे और गोबर के बदले में दो महीने पर एक गैस सिलेंडर मुफ्त में दिया जाने लगा। इस परियोजना के शुरू होने से उज्जवला योजना की लाभुक महिला जो पैसों के अभाव में गैस सिलेंडर को रिफलिंग नहीं करवा पाती थी, गोबर और कचरों के बदले गैस मिलने लगी। वहीं, स्वच्छता मिशन अभियान भी सफल हो गया।  इसके साथ ही गांव के पंद्रह लोगों को एक प्रोजेक्ट में रोजगार भी मिल गया.

जल्द शुरू होगा बिहार के दो जिलों में सुखेत मॉडल
बिहार के मधुबनी जिले में डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर में सुखेत मॉडल परियोजना के सफल होने और मन की बात में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा देश के हर पंचायत में इस मॉडल को लागू करने की बात कही गई। जिसके बाद पूसा विश्वविद्यालय बिहार के मोकामा और सुपौल जिले में सितंबर माह से चालू करने की तैयारी शुरू कर दी है. अब सुखेत मॉडल पर एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत विश्वविद्यालय काम कर रहा है।

मिल रहा है इस योजना से लोगों को रोजगार
इस योजना से गांव के 15 लोगों को रोजगार भी मिला है, साथ ही गांव में कचरे के बदले ग्रामीणों को दो महीने पर एक सिलिंडर दिया जा रहा है। खास बात ये है कि सिलिंडर पर मिलने वाला सब्सिडी भी ग्रामीणों के खाते में ही जायेगी। स्वास्थ्य के लिहाज से भी ये योजना काफी फायदेमंद है, क्योंकि व्यवस्थित तरीके से कचरा जमा करने पर गांव में जहां साफ-सफाई रहती है वहीं योजना के तहत मिलने वाली घरेलू गैस पर खाना बनाने से गांव की महिलाओं को धूएं से भी निजात मिलेगी जिससे उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। पीएम द्वारा मन की बात में सुखैत गांव का जिक्र किए जाने से गांव के लोग काफी प्रसन्न है।

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