अगर आप खेती-किसानी से जुड़े हैं और अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। अब आप सुगंधित औषधीय पौधे लगाकर लाखों रुपये कमा सकते हैं। पारंपरिक फसलों में घटते मुनाफे को देखते हुए किसान नई फसलों की खेती कर रहे हैं। बड़ी संख्या में किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसलों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं। इसी सिलसिले में केंद्र सरकार भी किसानों को सुगंधित फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करती है। अरोमा मिशन के तहत किसानों को लेमन ग्रास, खस, मेंथा, जिरेनियम, अश्वगंधा जैसी फसलों की ट्रेनिंग दी जाती है. इन फसलों की मदद से कई तरह के उत्पाद तैयार किये जाते हैं। ऐसे में इनकी मदद से किसान अपना मुनाफा कई गुना बढ़ा सकते हैं।
पारंपरिक खेती के अलावा औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती भी किसानों के लिए आय का बेहतर जरिया हो सकती है। इससे किसान लाखों रुपये कमा सकते हैं। लेमन ग्रास की खेती करके भी किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। लेमनग्रास पौधे का उपयोग ज्यादातर इत्र, साबुन, निरमा, डिटर्जेंट, तेल, बालों का तेल, मच्छर लोशन, सिरदर्द की दवा और सौंदर्य प्रसाधन बनाने में किया जाता है। इन उत्पादों से जो गंध आती है वह इस पौधे से निकलने वाले तेल की होती है। लेमनग्रास पौधे की खेती वर्ष के किसी भी समय की जा सकती है।
जेरेनियम एक सुगंधित पौधा है और इसके फूल को गरीबों का गुलाब कहा जाता है। जिरेनियम तेल की बाजार में काफी मांग है। इसके तेल का उपयोग दवाइयां और अन्य चीजें बनाने में किया जाता है। इसके तेल से गुलाब जैसी खुशबू आती है। जेरेनियम तेल का उपयोग एरोमाथेरेपी, सौंदर्य प्रसाधन, इत्र और सुगंधित साबुन बनाने में किया जाता है। पहले इस फसल की खेती अधिकतर विदेशों में की जाती थी। वर्तमान समय में भारत में भी इसकी खेती अच्छे पैमाने पर होने लगी है। जेरेनियम की खेती के लिए कम पानी वाली जगह उपयुक्त होती है।
देश के कई किसान आज भी पारंपरिक फसलों की खेती कर रहे हैं। ऐसे में किसान पारंपरिक फसलों से हटकर बाजार की मांग के अनुरूप कुछ नया करके अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। मेंथा एक नकदी फसल है। मेंथा (पेपरमिंट) ऑयल की देश-विदेश में भारी मांग है। दवा से लेकर सौंदर्य प्रसाधन और खाद्य पदार्थों तक मेंथा का इस्तेमाल होने से इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में किसान इसकी खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। मेंथा को किसानों के बीच मिंट के नाम से भी जाना जाता है। इसके तेल का उपयोग दवाइयों के साथ-साथ सौंदर्य उत्पाद, टूथपेस्ट और कैंडी बनाने में भी किया जाता है। फिलहाल भारत मेंथा ऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है.
खस की खेती
खस को वेटिवर के नाम से भी जाना जाता है, इसकी जड़ों को इस्तेमाल किया जाता है जिसमें खुशबूदार तेल होता है। तेल का उपयोग साबुन, इत्र, कमरे के स्प्रे, ताज़ा पेय जैसे उत्पादों के निर्माण के लिए और अन्य सुगंधित तेलों जैसे गुलाब का तेल, चंदन का तेल, लैवेंडर का तेल आदि में मिश्रण के लिए किया जाता है। किसान खस के प्रत्येक भाग, जड़, पत्ती और फूल का उपयोग करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इनका उपयोग महंगे इत्र, सुगंधित पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन और औषधियाँ बनाने में किया जाता है। वर्तमान में इसकी खेती देश में गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जा रही है।
अश्वगंधा एक बहुमूल्य औषधीय पौधा है, जिसकी मोटी एवं मूसलाधार जड़ों का उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा को एक देशी औषधीय पौधा भी माना जाता है। भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में भी इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसकी जड़ों का उपयोग आयुर्वेद और यूनानी दवाएं बनाने में भी किया जाता है। ,
सुगंधित फसलों का प्रशिक्षण ले सकते हैं
सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सुगंधित अनुसंधान संस्थान (सीमैप) किसानों को सुगंधित फसलों की खेती का प्रशिक्षण भी प्रदान करता है। इसके लिए आप सीएसआईआर-केंद्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान पर जा सकते हैं। आप ट्रेनिंग@cimap.res.in पर ईमेल करके भी संस्थान से संपर्क कर सकते हैं।