पाद गलन (कॉलर रॉट)
इस रोग के लक्षण आपको सोयाबीन की शुरूआती स्तिथि में देखने को मिलता है। अगर बात की जाये इसकी अनुकूलता की तो ये वातावरण में ज्यादा तापमान और नमी इस रोग के लिए अनुकूल है। इस रोग को मृदा जनित रोग की श्रेणी में रखा गया है।
प्रबंधन
इसके निपटान के लिए गर्मी के मौसम में ही गहरी जुताई कर सकते है। प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार के लिए 2 ग्राम थायरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम उपयोग करें। अगर रोग के लक्षण किसी पौधे में देखने को मिलते है, तो रोग लगे पौधे को उखाड़ कर पॉलीथिन में रख कर खेत के बहार गड्डे में गाड़ दें या नष्ट कर दे, इससे फायदा ये होगा की बाकि की फसल पर बुरा असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में बाविस्टीन का घोल बना कर रोगग्रसित पौधे जंहा से उखाड़े है वहां पर छिडकाव करें।
गेरुआ या रस्ट
सोयाबीन की फसल के समय जब बहुत ज्यादा बारिश होती है और तापमान कम लगभग 22 से 27 डिग्री सेल्सियस और अधिक नमी लगभग आर्द्रता 80-90 प्रतिशत होने पर इस रोग का प्रकोप देखने को मिलता है, और इस स्तिथि में इस रोग की सम्भावना बढ़ जाती है।
प्रबंधन
इस रोग के दुष्प्रभाव से निपटने के लिए प्रतिरोधक क्षमता वाली वैराइटी जैसे इंदिरा सोया-9, तथा फुले कल्याणी आदि की बुवाई करें। हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल (टिल्ट) दवाईयों में से किसी एक का 700 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें तथा 15 दिनों के बाद दोबारा छिड़काव करें। रोगग्रसित पौधे को उखाड़ कर पॉलीथिन में रख कर खेत के बाहर गड्ढे में गाड़ दें या नष्ट करें।
एन्थ्रेक्नोज एवं फली झुलसन
ये रोग भी फसलों को काफी नुकसान पंहुचाता है, देखा जाये तो इस रोग का प्रकोप अधिक तापमान एवं नमी होने पर होता है।
प्रबंधन
बीज उपचार के लिए 2 ग्राम थायरम एवं 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपयोग करें। तथा रोग के लक्षण दिखाई देने पर बेलेटान या थयोफिनेट मिथाईल 1-2 ग्राम प्रति लीटर पानी के मान से छिड़काव करें। रोग प्रतिरोधक किस्में जेएस 97-52 एवं जेएस 80.21 की बुवाई करें।