सोयाबीन की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए, जरूर पढ़ें ये जानकारी, होगा फायदा, मिलेगा मुनाफा

सोयाबीन की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए, जरूर पढ़ें ये जानकारी, होगा फायदा, मिलेगा मुनाफा
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Kisaan Helpline

Agriculture Jul 04, 2019

खरीफ मौसम की फसल बुवाई का समय नजदीक आ रहा है। अपनी चूंकि खरीफ मौसम में सोयाबीन फसल की बुवाई मुख्य रूप से की जाती है , इसीलिये भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इन्दौर की अनुशंसा के आधार पर किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि उत्पादन में स्थिरता की दृष्टि से 2 - 3 वर्ष में एक बार खेती की गहरी जुताई हमेशा अवश्य करें।

उप संचालक किसान कल्याण कृषि विकास ने जानकारी दी कि इसके बाद बक्खर, कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार अथर करें। उपलब्धता अनुसार अपने खेत में 10 मीटर के अन्तराल पर सब सॉइलर चलाये, जिससे मिट्टी की कठोर परत को तोड़ने में जल अवशोषण / नमी का संचार अधिक समय तक बना रहे । खेत की अन्तिम बखरनी से पूर्व गोबर की खाद ( 10 टन प्रति हेक्टेयर ) या मर्गी की खाद ( 2 . 5 टन प्रति हेक्टेयर ) की दर से डालकर खेत में फैला दें।

बीज अंकुरण

किसान स्वयं के पास उपलब्ध बीजों का अंकुरण परीक्षण कर लें। कम से कम 70 प्रतिशत अंकुरण। क्षमता वाला बीज ही बुवाई के लिये रखें। यदि आप बाहर कहीं ओर से उन्नत बीज लाते हैं तो विश्वसनीय / विश्वासपात्र संस्था से ही बीज खरीदें और साथ में पक्का बिल अवश्य लें। इसके साथ ही घर पर अंकुरण परीक्षण करें। 

किसान भाई अपनी जोत के अनुसार कम से कम दो से तीन किस्मों की बुवाई करें। जिले में अनुशंसित किस्में जेएस 95 - 60 , जेएस 93 - 05 और नवीन किस्में जेएस 20 - 34 , जेएस 20- 29 और आरवीएस 2001 - 04 है। 

बीजोपचार

किसान बीज की बुवाई से पहले बीजोपचार जरूर करें। बीजोपचार हमेशा एफआईआर क्रम ( फंजीसाइट , इंसेक्टिसाइट , राइजोबियम ) में करना चाहिये । इस हेतु जैविक फफूदनाशक ट्रोइकोडर्मा विरडी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज अथवा फफूदनाशक ( थाइरम + कार्बोक्सिन ) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या थाइरम + काबेंडाजिम 3 ग्राम प्रति किलोग्राम अथवा पेनफ्लूफेन + ट्रायफ्लॉक्सिस्ट्रोबिन एक मिली प्रति किलोग्राम के मान से उपचारित करें। 

गत वर्ष जहां पर पीले मोजेक की समस्या आ रही है , वहां पीले मोजेक बीमारी की रोकथाम के लिये अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफएस ( 10 मिली प्रति किलोग्राम बीज ) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस (1.2 मिली प्रति किलोग्राम बीज) से अवश्य उपचारित करें। इसके बाद जैव उर्वरक राइजोबियम एवं पीएसवी कल्चर ( 5 से 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज ) के मान से अनिवार्य रूप से उपयोग करें। 

किसान अनुशंसित बीज 75-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उन्नत प्रजातियों की बुवाई करें। एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 4.50 लाख पौधों की संख्या होना चाहिये। कतार से कतार की दूरी कम से कम 14 से 18 इंच के आसपास रखें। 

साथ ही संभव हो तो रेज्ड बेड पद्धति से फसल की बुवाई करें। इस विधि से फसल की बुवाई करने से कम वर्षा और अधिक वर्षा दोनों स्थिति में फसल को नुकसान नहीं होता है । नाइट्रोजन , फास्फोरस , पोटाश और सल्फर की मात्रा क्रमशः 20 : 60 : 30 : 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग करें। इस हेतु एनपीके ( 12 : 32 : 16 ) 200 किलोग्राम प्रति 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर और डीएपी 111 किलोग्राम एवं म्यूरेट ऑफ -111 किलोग्राम एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 50 किलोग्राम + 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर का उपयोग कर सकते हैं। 

बोवनी का सही समय और सावधानियाँ

वर्षा के आगमन के पश्चात सोयाबीन की बोवनी हेतु मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह का उपयुक्त समय है। नियमित मानसून के पश्चात लगभग 4 इंच वर्षा होने के बाद ही बुवाई करना उचित होता है। मानसून पूर्व वर्षा के आधार पर बोवनी करने से सूखे का लम्बा अन्तराल रहने पर फसल को नुकसान हो सकता है । फसल बुवाई यदि ( डबल पेटी ) सीड कम फर्टिलाईजर सीड़ ड्रिल से करते हैं तो बहुत अच्छा है , जिससे उर्वरक एवं बीज अलग - अलग रहता है और उर्वरक बीज के नीचे गिरता है । इससे उसका 80 प्रतिशत उपयोग हो जाता है। डबल पेटी वाली मशीन न हो तो अन्तिम जुताई के समय पर अनुशंसित उर्वरक का उपयोग करें। अधिक जानकारी के लिये क्षेत्र के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के कार्यालय या क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क किया जा सकता है।

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