सोयाबीन की खेती में ध्यान रखी जाने वाली बातें और उपजाऊ किस्मों की जानकारी

सोयाबीन की खेती में ध्यान रखी जाने वाली बातें और उपजाऊ किस्मों की जानकारी
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Kisaan Helpline

Agriculture May 31, 2019

खेत की तैयारी –

सोयाबीन की खेती के लिये सबसे ज्यादा दोमट मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है। 
वही एक और मटियार भूमि में जहां जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो, वहां इसकी खेती की जा सकती है। सोयाबीन की खेती लवणीय, क्षारीय तथा जल भराव वाले खेतों में  नहीं की जा सकती है। इसके लिए गर्मी  में एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में देशी हल से दो तीन बार खेत की जुताई कर लेनी चाहिए ताकि भूमि भुरभूरी हो जाये। इसके बाद पाटा चलाकर बुवाई के लिये खेत तैयार हो जाता है।

बीज उपचार –

सबसे पहले अगर बात की जाये तो बुवाई के लिये टी 49 किस्म का 50 किलो बीज पर्याप्त है, अगर अन्य सोयाबीन की दूसरी किस्मों में प्रति हेक्. 80 से 100 किलो बीज काफी रहता है। सोयाबीन की फसल को बोने से पूर्व एक बात का ध्यान रखा जाये की  बीज को 3 ग्रा. थाइरम या 2 ग्रा कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू पी. द्वारा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित जरूर कर ले। बीज को सोयाबीन कल्चर से उपचारित करना आवश्यक है।

बुवाई –

खेत में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो तो वहां आप सोयाबीन की बुवाई 17 जून से 30 जून तक कर दें। अगर सिंचाई की सुविधा नहीं है तो वर्षा के जल का इंतजार करे। इसकी दूरी कतार से कतार 30 से.मी. रखें। 
शीघ्र पकने वाली किस्मों में पौधे से पौधे की दूरी 7.5 से.मी. मध्यम अवधि वाली किस्मों में 10 से.मी. तथा देर से पकने वाली किस्में 12.5 से.मी. रखनी चाहिए। कल्चर से उपचारित बीजों के ऊपर विपरीत प्रभाव न पड़े इसके लिए उन्हें डी.ए.पी के साथ कभी नहीं मिलाना चाहिए।


निराई गुड़ाई –

ध्यान देने योग्य बात ये भी है की बुवाई के 15-20 दिन के पश्चात दूसरे पौधों को निकालकर पौधे से पौधे की दूरी फसल की वेराइटी के आधार पर कर दें। पहली निराई-गुड़ाई 25 से 30 दिन की अवस्था पर करें इसके लिए चाहे तो हल या कुल्फा चलाकर कर सकते है इसके अलावा दूसरी निराई -गुड़ाई 40-45 दिन की अवस्था पर करें। खरपतवार नाशी रसायन के द्वारा सोयाबीन फसल में खरपतवारों को नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिये प्रति हेक्. 750 ग्रा. फ्लूक्लोरेलिन सक्रिय तत्व बुवाई के एक दिन पहले 500-600 ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

सोयाबीन की खड़ी फसल खरपतवार नियंत्रण हेतु अंकुरण के 15-20 दिन के पश्चात् इमेजाथाइपर ग्रा. 600 ली. पानी में घोलकर प्रति हेक्. की से छिड़काव करें। सोयाबीन में घास वाले खरपतवारों के नियंत्रण हेतु क्विजांलफोप-एथिल 50 ग्रा. प्रति हेक्’ की बुवाई के 15 से 20 दिन के अंदर छिड़काव कर दें।


जेएस-2034 

जेएस-2034 जून के अन्तिम सप्ताह में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है, बोने के समय अच्छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्त नमी होना चाहिए। फसल का उत्पादन 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है, एक अच्छी पैदावार के लिए ये बहुत अच्छा साबित होता है। 87 से 88 दिनों में आपकी फसल तैयार हो जाती है। फसल के प्रारम्भिक 30 से 40 दिनों तक खरपतवार नियंत्रण बहुत आवश्यक होता है। खरीफ मौसम की फसल होने के कारण सामान्यत: सोयाबीन को सिंचाई की आवश्यकता नही होती है। फलियों में दाना भरते समय अर्थात सितंबर माह में यदि खेत में नमी पर्याप्त न हो तो आवश्यकतानुसार दो या तीन हल्की सिंचाई करना सोयाबीन के विपुल उत्पादन लेने हेतु लाभदायक है। हमारे एक्सपर्ट के अनुसार ये खेती (राज्य): मध्य प्रदेश में की जा सकती है।

JS 9560

JS 9560 जून के अन्तिम सप्ताह में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है बोने के समय अच्छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्त नमी होना चाहिए। जुलाई के प्रथम सप्ताह के पश्चात बोनी की बीज दर 5- 10 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए। फसल के प्रारम्भिक 30 से 40 दिनों तक खरपतवार नियंत्रण बहुत आवश्यक होता है। बतर आने पर डोरा या कुल्फा चलाकर खरपतवार नियंत्रण करें व दूसरी निंदाई अंकुरण होने के 30 और 45 दिन बाद करें। खरीफ मौसम की फसल होने के कारण सामान्यत: सोयाबीन को सिंचाई की आवश्यकता नही होती है। 

NRC 37

NRC 37 जून के अन्तिम सप्ताह में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है बोने के समय अच्छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्त नमी होना चाहिए। जुलाई के प्रथम सप्ताह के पश्चात बोनी की बीज दर 5- 10 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए। सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए। 
सोयाबीन की फसल पर बीज एवं छोटे पौधे को नुकसान पहुंचाने वाला नीलाभृंग (ब्लूबीटल) पत्ते खाने वाली इल्लियां, तने को नुकसान पहुंचाने वाली तने की मक्खी एवं चक्रभृंग (गर्डल बीटल) आदि का प्रकोप होता है एवं कीटों के आक्रमण से 5 से 50 प्रतिशत तक पैदावार में कमी आ जाती है। इन कीटों के नियंत्रण के उपाय निम्नलिखित है:

कृषिगत नियंत्रण :- खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करें। मानसून की वर्षा के पूर्व बोनी नहीं करे। मानसून आगमन के पश्चात बोनी शीघ्रता से पूरी करें। खेत नींदा रहित रखें। सोयाबीन के साथ ज्वार अथवा मक्का की अंतरवर्तीय खेती करें। खेतों को फसल अवशेषों से मुक्त रखें तथा मेढ़ों की सफाई रखें।

जेएस-2029

जेएस-2029 जून के अन्तिम सप्ताह में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय सबसे उपयुक्त है बोने के समय अच्छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्त नमी होना चाहिए। सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए। कतारों की दूरी 30 सेमी. ‘’ बोनी किस्मों के लिए ‘’ तथा 45 सेमी. बड़ी किस्मों के लिए उपयुक्त है। बीज 2.5 से 3 सेमी. गहराई तक बोयें। फसल का उत्पादन 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है, एक अच्छी पैदावार के लिए ये बहुत अच्छा साबित होता है। 90 से 95 दिनों में आपकी फसल तैयार हो जाती है।

JS – 335 सोयाबीन

JS – 335 जुलाई के प्रथम सप्ताह के पश्चात बोनी की बीज दर 5- 10 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए। सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए। कतारों की दूरी 30 सेमी. ‘’ बोनी किस्मों के लिए ‘’ तथा 45 सेमी. बड़ी किस्मों के लिए उपयुक्त है। बीज 2.5 से 3 सेमी. गहराई तक बोयें। फसल का उत्पादन 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है, एक अच्छी पैदावार के लिए ये बहुत अच्छा साबित होता है। 95 से 100 दिनों में आपकी फसल तैयार हो जाती है।

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