किसान भाइयों के लिए विशेष सुझाव: सितंबर महीने से रबी फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है, साथ ही ये महीना सब्जियों की खेती का भी है। अगर आप धान, सरसों, सब्जियां, फल आदि फसलों की खेती करते है तो आपको इन बातों का विशेषकर ध्यान रखना चाहिए।
धान फसल
धान का भंडारण करते समय आद्रता स्तर 10-12 प्रतिशत से कम होनी चाहिए।
धान का भण्डारण कक्ष को तथा जूट के बोरों को विसंक्रमित करके ही भंडारण करे।
धान भण्डारण के कीडों के नियंत्रण के लिए फोस्टोक्सीन दवा का प्रयोग करें।
कीडों से बचाव के लिए स्टॉक को तरपोलिद से ढक दें।
सब्जियां
गोभी की पूसा सुक्ति, पूसा पौषजा प्रजातियों की नर्सरी तैयार करें। बन्द गोभी की किस्म गोल्डन एकर, पूसा कैबेज हाईब्रिड 1 की नर्सरी तैयार करें।
पालक की पूसा भारती किस्म की बुआई आरम्भ कर सकते हैं।
बैंगन की पौध पर 3 ग्राम मैंकोजेब और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम को एक लिटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
अगेती गाजर की पूसा वृष्टि किस्म की बुआई करें । गाजर को पर्ण अंगमारी रोग से बचाव के लिए थीरम ग्राम प्रति किलोग्रा बीज की दर से उपचारित करके बोएं।गाजर को स्क्लेरोटिनिया विगलन से बचाव के लिए 15 ग्राम प्रति तीन लिटर पानी में घोलकर मृदा को सींचे ।
फल फसलें
वयस्क आम के पौधों में बची हुई उर्वरक की मात्रा (500 ग्राम नाईट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस व 500 ग्राम पोटास) को मानसून की बारिस के पश्चात डालें।
नींबू वर्गीय फलों में यदि डाईबैक, स्कैब तथा सूटी मोल्ड बीमारी का प्रकोप हो तो 3 ग्राम कापर ओक्सीक्लोराइड दवा एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। नींबू वर्गीय फलों में कैंकर बीमारी की रोकथाम के लिए 5 ग्रा. स्ट्रैप्टोसाइक्लीन तथा 10 ग्रा. कॉपर सल्फेट दवा को 100 लीटर पानी में घोलकर या 3 ग्राम कापर ऑक्सीक्लोराइड को प्रति 1 लीटर पानी की दर से घोलकर पौधों में डालें ।
सरसों के लिए
इस माह में सरसों की अगेती किस्मों जैसे कि पूसा सरसों 25, पूसा सरसों 28, पूसा सरसों 27 व पूसा तारक की बुआई करें। सरसों में सफेद रतुआ के बचाव के लिए मेटालैक्सिल (एप्रॉन 35 एस डी) 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से या बाविस्टिन 2 ग्रा./ किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें ।
सरसों में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई से पहले 2.2 लीटर/हेक्टेयर की दर से फलूक्लोरोलिन का 600 से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। यदि बुवाई से पहले खरपतवार नियंत्रण नही किया गया है तो 3.3 लीटर पेंडीमिथालीन (30 ई.सी.) को 600 से 800 लीटर पानी में घोलकर बुआई के 1-2 दिन बाद छिडकाव करें।