हरी खाद
हरी खाद के लिए कुछ खास फसलों को उगाया जाता है जिन्हें परिपक्व होने से पहले ही काट दिया जाता है तथा मृदा में मिलाया जाता है। यह 1 - 2 महीने में सडकर जैविक खाद का रूप ले लेती हैं। इन फसलों में मुख्यत : वे फसलें आती हैं , जो वातावरण से नाइट्रोजन जैसे महत्वपर्ण तत्व को वायुमंडल से लेकर अपनी जड़ों में स्थिर कर उसे खेत में उगाई जाने वाली अगली फसल को उपलब्ध करवाती हैं। उदाहरणत : घास, सैन्सवेनिया, सनहैम्प, ग्वार हरित खाद के लिए उपलब्ध करवाती हैं।
कॉन्सेंट्रेटेड जैविक पदार्थ
जैविक पदार्थों को कुछ विशेष प्रक्रियाओं से गुजरने पर कॉन्सेंट्रेटेड जैविक पदार्थ प्राप्त होता है, जिन्हें जैविक खादों के रूप में उपयोग किया जाता है। इनमें पोषक तत्वों की मात्रा साधारण जैविक पदार्थों से गांठगोभी में तनों का फटना अधिक होती है। इस श्रेणी में मुख्यत : हड्डिय का चूर्ण , चोकर व खली शामिल हैं।
गोबर खाद
गली सड़ी ( लगभग 2 वर्ष पुरानी ) गोबर की खाद की गुणवत्ता भी अच्छी होती है और उसमें पोषक तत्वों की उपलब्धता भी अधिक होती है। यह पशुओं के मलमूत्र तथा उनके विघटन से तैयार की जाती है। इसमें नाइट्रोजन 0 . 5 - 1 . 5 , फॉस्फोरस 0 . 4 - 0 . 8 , पोटाश 0 . 5 - 1 . 9 प्रतिशत की मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
फलीदार दलहन फसल लगाना
फसल चक्र के रूप में दलहन समूह की सब्जियां लगाना एकीकृत पोषक तत्व प्रणाली का एक अभिन्न अंग है । इन पौधों की जड़ों में गांठे होती हैं , जिनमें राइजोबियम बैक्टीरिया होते हैं । इस जीवाणु में वातावरण से नाइट्रोजन स्थिर करने की क्षमता होती है , जिसे पौधे उपयोग करते हैं तथा अपनी नाइट्रोजन की जरूरत को पूरा करते हैं।
जीवांश खादें
इस क्षेत्र में मुख्यत : नाइट्रोजन स्थिरीकरण, फॉस्फोरस परिवर्तनशील सूक्ष्मजीव आते हैं। इन खादों में सूक्ष्मजीवों की सक्रिय एवं गुप्त कोशिकाएं होती हैं।
राइजोबियम बैक्टीरिया
यह एक सहजीवी नाइटोजन स्थिरीकरण सूक्ष्मजीव है जो पौधों की जड़ों में बनी विशेष गांठों में मौजूद होता है। यह जीवाणु मृदा में प्रति हैक्टर की दर से 25 - 30 कि. ग्रा. नाइट्रोजन मिलाता है।
नील हरित शैवाल ( बी. जी. ए.)
जैसे एनाबीना , नोस्टोक - यह जीव प्रतिवर्ष 20 - 30 कि . ग्रा . प्रति हैक्टर की दर से नाइट्रोजन स्थिर करता है।
एजोटोबैक्टर
यह सूक्ष्मजीव कई तरह के पादप वृद्धि हार्मोन , विटामिन तथा कवकरोधी पदार्थ भी स्रावित करता है।
एजोस्याइरिलम
यह हर साल मृदा में 15 - 20 कि . ग्रा . प्रति हैक्टर की दर से नाइट्रोजन मिलाता है।
माइकोराइजा
माइकोराइजा के प्रयोग से पौधों में पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है। इन पोषक तत्वों में मुख्यतः फॉस्फोरस, पोटाश तथा सूक्ष्म पोषक तत्व आते हैं। इसके साथ जड़ क्षेत्र के आसपास नाइट्रोजन स्थिरीकरण बैक्टीरिया की संख्या भी बढ़ जाती है।