जानिए सफल सब्जी उत्पादन के लिए आवश्यक सुझाव के बारे में
जलवायु और ऋतु के अनुकूल किस्मों का चयन करें।
उन्नत किस्मों व उच्च गुणवत्ता वाले बीज भरोसे की जगह से ही खरीदें।
बीज की रसीद अवश्य लें तथा उसे सुरक्षित रखें।
बुवाई या रोपाई के लिए उपयोग किए जानेवाले खेत में बुवाई या रोपाई के 15 दिन पहले सङी हुई गोबर की खाद 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में मिला दे अगर हो सके तो गोबर की खाद में ट्राइकोडर्मा (5 किग्रा / हेक्टेयर) को भी मिला दे।
प्रचुर मात्रा में गोबर की सड़ी खाद को खेत की तैयारी से 15-20 दिन पहले मिलाए।
डी.ए.पी. या सुपर फॉस्फेट एवं म्युरेट ऑफ पोटाष आदि उर्वरको की मात्रा जांच रिपोर्ट के अनुसार खेत तैयार करते समय खेत में मिलाए ।
बीज को बीज शोधक रसायन द्वारा उपचारित करके ही बुवाई करना चाहिए ।
दलहनी सब्जी फसलों जैसे-लोबिया आदि को जीवाणु टीके से अवश्य उपचारित करे।
अच्छी तरह से तैयार क्यारी में उचित गहराई पर बीज की बुवाई करे।
पौधशाला मे पानी तेज धूप के समय ना लगाये तथा पानी उथली क्यारियों के बीच ना भरने दे।
पौधशाला में बीज को मिट्टी, रेत अथवा इसके मिश्रण या सड़ी महीन गोबर की खाद से अवश्य ढक दें।
बुवाई या रोपाई से पूर्व खेत की पलेवा करके ही खेत की तैयारी करे।
बीज बुवाई या रोपाई करते समय मृदा में पर्याप्त नमी होनी चाहिए तथा रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।
रोपाई करने से पूर्व कमजोर पौधो की छटाई करे तथा स्वस्थ एवं उचित आकार के पौधों का रोपण करें।
रोपाई कार्य सांयकाल के समय करें।
कद्दूवर्गीय फसलों के बीजो को नालियों के दोनो भीतरी किनारों पर लगाना चाहिए। जिससे बेल की वढवार नालियों के बीच के सूखे स्थान पर हो।
भिन्डी इत्यादि के बीजो को बुवाई से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगाए एवं उतने ही समय तक गीले कपड़े में रखे और जब बीजो मे हल्का अंकुरण आ जाए तो बुवाई करे।
रोगी और कीड़ों से ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें या खेत में गहरे गड्डे में दबायें।
नत्रजन खाद डालने के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करे। उर्वरक पौधे के पत्तों या अन्य भाग पर नहीं चाहिए। अतः औस हटने के बाद ही यूरिया या अन्य उर्वरको का छिड़कें।
फल भूमि से लगकर खराब ना हो इसके लिए पौधे को सहारा (ट्रेल) कर दें।
पौध संरक्षण उपायों को उचित समय पर ठीक विधि से तथा रसायनों के उपयोग के लिए आवश्यक सावधानियों को प्रयोग में लायें।
कीटनाशी तथा फफूँदनाशी दवाइयों का घोल अनुमोदित मात्रा की दर से बनायें । आपस में अनुकूलता के आधार पर ही दवाइयों को मिलायें।
हवा की दिशा को ध्यान में रखते हुए छिड़काव करे, तथा स्वयं के हाथ, शरीर को ढक कर रखे तथा आंखो पर चश्मा तथा हाथों में ग्लबज पहनें।
दवाईयों का घोल प्लास्टिक के बर्तन में ही बनायें। रसायनों के प्रयोग के उपरांत आवश्यक प्रतिक्षा अवधि (सेफ पीरीयड) के बाद ही तुडाई करें ताकि कटाई उपरांत उत्पादन में रसायन का अवशेष न रहें।
रसायनों का कम से कम प्रयोग करें तथा जैविक विकल्पों को अपनाने का प्रयास करें।
बैंगन में शीर्ष एवं फल छेदक तथा फल मक्खी आदि के लिए फैरामोन ट्रेप अवश्य लगाये, जिससे कीटनाशीओ के छिड़काव में कमी की जा सकती है।
प्याज, गोभी वर्गीय एवं कद्दूवर्गीय फसलो मे बीज उत्पादन के लिए फूल आने पर खेत में मधुमक्खी के छत्तों को रखे इससे शहद उत्पादन के साथ-साथ परागण अच्छा होने से कद्दूवर्गीय फसलो में फल उत्पादन एवं प्याज, गोभी, गाजर इत्यादि में बीज उत्पादन में बढोत्तरी होगी।
पौधे और फसल को हानि पहुंचाये बिना फल तुड़ाई उचित समय पर करें।
तुड़ाई के पश्चात् सब्जियों को छायादार एवं साफ जगह पर रखे तथा उनकी छंटाई करके ही पैकिंग करें।
सब्जियों की धुलाई के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करे। भरे या रुके हुए पानी से धुलाई ना करें।
उत्पादन को जितना शीघ्र हो सके मण्डी में पहुंचाने की व्यवस्था करें।
इसी प्रकार यदि किसान उपर्युक्त अत्यधिक पैदावार देने वाली नई नई प्रजातियों विशेषकर रोगरोधित एवं संकर प्रजातियों के बीज लगाने के साथ, सब्जी लगाने की नई विधियों, खरपतवार एवं बीमारियों तथा कीडों की रोकथाम के लिये उपलब्ध नये रासायनिक दवाओं, सिचाई के आधुनिक तरीको जैसे स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिचाई पद्धतियों का उपयोग अपनी खेती में करें तो वे अपनी कृषि में आने वाली लागत को कम करके उससे कई गुणा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।