पालक की सब्जी को पोषक तत्वों से भरपूर मन जाता है, पालक की सब्जी में कई पोषक तत्व जैसे की विटामिन, मिनरल्स, आयरन, कैल्शियम और भी कई पोषक तत्व पाए जाते है। कई चिकित्सक इसे खून में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने के लिए भी जरुरी मानते है। तो आइये हम आपको आज बताते है की पालक की जैविक तरीके से खेती कर किस तरह आप एक अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है।
जलवायु- अगर हम बात करे तो पालक की खेती साल के ठन्डे मौसम में मुख्य रूप से की जाती है क्युकी ज्यादा तापमान के कारन पालक की अच्छी खेती नहीं होती है। और इसके अलावा भी कई लोग इसकी खेती साल भर करते है लेकिन ठंडी जलवायु एक आदर्श समय होता है इसकी उन्नत खेती के लिए। माध्यम तापमान में भी इसकी खेती कर सकते है।
मिट्टी का चयन- जिस जमीन पर आप पालक की खेती कर रहे है, उसके लिए जमीन का समतल और जल निकासी होना अनिवार्य है। बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए बहुत ही ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का मन अगर 6.0 और 6.7 के बिच होता है जो पालक की खेती के लिए ज्यादा अच्छा होता है।
खेत की तैयारी- मिटटी को कल्टीवेटर की सहायता से भुरभुरा बना दे, इसके बाद उसमे नीम की खली या गोबर की अच्छी सड़ी हुई खाद डाल दे। ताकि बीजो की उपज और बढ़ोतरी के लिए मिट्टी से पोषक तत्वों का संचार होता रहे।
उन्नत किस्मे- पालक की उन्नत किस्मे कुछ इस प्रकार है - हिसार सिलेक्शन, पूसा पालक, पूसा हरित, आल ग्रीन, पूसा ग्रीन, लॉन्ग स्टैंडिंग, पूसा भारती।
बीज उपचार- बुवाई के लिए 25 से 30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से जरूर ले इसके बाद उन्हें 5 से 6 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दे। ताकि बीज अच्छी तरह से बुवाई के लिए तैयार हो जाये।
बुवाई का समय- नंबर से दिसंबर और फरवरी से मार्च के समय में आप इसकी बुवाई कर सकते है।
बुवाई का तरीका- आप बीज की बुवाई दो तरीको से कर सकते है ,एक तो कतार द्वारा और दूसरा छिड़काव द्वारा। याद रहे छिड़काव विधि में बीज पास पास न गिरे और कतार विधि में बीजो को बोते समय उनके बीज थोड़ी दुरी बना कर ही बोये।
खाद और उर्वरक- जैविक तरीके से खाद का इस्तेमाल करने के लिए आप गोबर की सड़ी खाद 20 से 30 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल सकते है। इसके अलावा 1 क्विंटल नीम खली या नीम की पत्तियों की खाद का प्रयोग भी कर सकते है।
सिंचाई- बुवाई के समय खेत में नमी में कमी रह गई हो तो हलकी सिंचाई कर दे , पालक की खेती में पानी की आवश्यकता ज्यादा होती है, तो इसकी सिंचाई करते रहे।
किट नियंत्रण- वैसे तो इसमें अधिकतर कीटो का खतरा नहीं होता है लेकिन माहु और केटर पिलर नामक किट इस फसल को नुकसान पहुंचा सकते है। इसके लिए नीम की पट्टी का घोल बनाकर छिड़काव कर इनसे निजात पा सकते है।
इसके अलावा आप चाहे तो 20 लीटर गोमूत्र में 3 किलोग्राम नीम पत्ती आधा किलोग्राम तम्बाकू का घोल बनाकर इसका छिड़काव कर सकते है।
कटाई- पत्तियों की लम्बाई 15 से 20 सेंटीमीटर होने पर इसकी कटाई कर दे। इस बात का ध्यान रखे की जड़ से 5 से 6 सेंटीमीटर के ऊपर से कटाई करे। पहली कतई के बाद 15 से 20 के अंतराल में पालक की पत्तिया आने लगती है इस दौरान आप वापस से कटाई कर सकते है।