1. वर्मीकम्पोस्ट बनाना बहुत सस्ता व आसान होता है। इसे सामान्य किसान अपने फार्म पर तैयार कर सकते हैं, जबकि रासायनिक उर्वरक फार्म पर नहीं बनाया जा सकता।
2. वर्मीकम्पोस्ट में बहुत सारे पोषक तत्व एवं हार्मोन्स पाए जाते हैं, जबकि रासायनिक उर्वरकों में कुछ ही पोषक तत्व पाए जाते हैं।
3. वर्मीकम्पोस्ट द्वारा मृदा की उर्वरा व उत्पादन शक्ति बढ़ती है, जबकि रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग से भूमि की उर्वराशक्ति का क्षीण होती है।
4. रासायनिक उर्वरकों की तुलना में वर्मीकम्पोस्ट का फसलों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है।
5. वर्मीकम्पोस्ट द्वारा कीट - पतंगे व भू - जनित रोगों का प्रकोप भी कम होता है।
6. वर्मीकम्पोस्ट के प्रयोग से मिट्टी भुरभुरी हो जाती है। इससे उसमें पोषक तत्व व जल संरक्षण की क्षमता बढ़ जाती है। हवा का आवागमन भी मिट्टी में ठीक रहता है।
7. वर्मीकम्पोस्ट का हयुमस अवयव मृदा धन आयन विनिमय क्षमता को सुधारता है। इससे पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता आसान हो जाती है।
वर्मीकम्पोस्ट की अन्य विशेषताएं
1. वर्मीकम्पोस्ट से कृषि अपशिष्टों ( पशु चारे , फसल अवशेष ) का सदुपयोग हो जाता है।
2. अन्य विधियों की तुलना में वर्मीकम्पोस्ट में तेज गति से खाद का निर्माण होता है।
3. खेत में वर्मीकम्पोस्ट के उपयोग से दीमक का प्रकोप नहीं होता है।
4. इसके उपयोग से रासायनिक खादों की आवश्यकता को पूर्ति या कमी को भी दूर किया जा सकता है।
5. वर्मीकम्पोस्ट के प्रयोग से खेत में खरपतवार बीजों के पहुंचने की आशंका कम हो जाती है।
6. यह वातावरण को प्रदूषणमुक्त रखने में सहायक होता है।
7. उत्पादन में वृद्धि के साथ - साथ फसल उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।