हाल ही में बिहार राज्य में भागलपुर के प्रसिद्ध कतरनी चावल का जीआइ टैग लेने के बाद राज्य सरकार का प्रयास अब इसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी ब्रांडिंग करने का है। राज्य के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि कतरनी चावल बिहार की पहचान है। और इसी कारण से प्रदेश की उन्नति को आगे बढ़ाने के लिए इसका ब्रांड बिहार के रूप में प्रचार किया जाएगा। जीआइ टैग का इस्तेमाल करते हुए इसके वाणिज्यिक मूल्य बढ़ाने की कोशिश होगी। सरकार का प्रयास है की इसके लिए किसानों एवं व्यावसायियों को विदेशों में निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसकी उपज और विकास के लिए किसानों को प्रशिक्षण, स्थल निरीक्षण, किसान चौपाल एवं वीडियो फिल्म के जरिए कतरनी चावल की ब्रांडिंग एवं इसके बाजार का विस्तार किया जाएगा। इसके अतिरिक्त कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत कतरनी चावल की ब्रांडिंग के लिए राज्य सरकार की ओर से बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर को 373.80 लाख रुपये एवं पोषणयुक्त अनाजों के उत्पादन के लिए तकनीकी सहयोग के रूप में 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। इस योजना के तहत कतरनी धान के प्रमाणित बीज उत्पादन करना, जैविक खेती एवं प्रबंधन, सुगंध की हिफाजत के लिए भूमि और जलवायु के कारकों की भूमिका की जांच करना शामिल होगा।
राज्य सरकार का पूरा प्रयास रहेगा कि कतरनी धान के प्रमाणिक बीज की गुणवत्ता बनी रहे। नकली बीज या जालसाजी की जांच को लेकर भी सख्ती बर्ती जाएगी। उल्लेखनीय है कि कतरनी की जीआइ टैग लेने के लिए राज्य सरकार ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय को तकनीकी सुविधा भी दी थी।