प्याज की कीमत को देखकर कई किसान इस बात से चिंतित है की कही प्याज में किसी प्रकार की घातक बीमारी लगने से उनकी फसल ख़राब न हो जाये। इसके लिए हम आपको बतायेंगे की किस तरह इन बीमारियों के लक्षण पहचाने जाये और उनका उपचार किया जाये। प्याज की फसल में अकसर किसानो से यह सुनते पाया गया है की जैसे ही बीज अंकुरित होता है, उसके बाहर निकलते ही उसमे सड़न रोग लग जाता है, और पौधे मरने लगते है। लेकिन इसका पता अंकुरण होकर पौधे के बाहर निकलने के बाद ही होता है। ये बीमारी के लक्षण में जमीन की सतह पर आपको सड़न देखने को मिलेगी।
आर्द्रगल की रोकथामः
1. बीज की गुणवत्ता और रोगी बीज का प्रयोग बुवाई के समय न करे।
2. थाइरम या कैप्टान 2.5 ग्राम प्रति कि.ग्रा बीज की दर से बुवाई के पूर्व उपचार कर ले।
3. जहाँ पौधा उगने वाला है उसकी निचे की मिटटी के ऊपरी भाग थाइरम के घोल (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) या बाविस्टीन के घोल (1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी) से 15 दिन के अंतर के आधार पर छिड़काव करना चाहिए।