1. रबी प्याज की उन्नत किस्म के बीज को 3 मीटर लम्बी, 1 मीटर चौड़ी व 20-25 से.मी. ऊंची उठी हुई क्यारियां बनाकर बोनी करें। 500 मीटर वर्गक्षेत्र में तैयार की गई नर्सरी की पौध एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त होती है।
2. प्रत्येक क्यारी में 40 ग्राम डी.ए.पी., 25 ग्राम यूरिया, 30 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश व 10-15 ग्राम फ्यूराडान डालकर अच्छी तरह मिट्टी में मिला दें। सितम्बर अक्टूबर माह में क्यारीयों को तैयार कर क्लोरोपाईरीफॉस (2 मिली./ लीटर पानी) कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम/लीटर पानी) को धोलकर क्यारी की मिट्टी को तर कर 250 गेज मोटी सफेद पॉलिथिन बिछाकर 25-30 दिनों तक मिटटी का उपचार कर लें।
3. इस विधि से मिटटी को उपचारित करने को मृर्दा शौर्यीकरण कहतें है। ऐसा करने पर मिटटी का तापमान बढऩे से भूमि जनित कीटाणु एंव रोगाणु नष्ट हो जाते है।
4. बीजों को क्यारियों में बोने से पूर्व थायरम या कार्बोसिन/बाविस्टीन नामक फफूंदनाशक दवा से 2-3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें। उपचारित बीजों को 5-10 सेमी. के अंतर पर बनाई गई कतारों 1 सेमी. की गहराई पर बोएं।
5. अंकुरण के पश्चात पौध को जडग़लन बीमारी से बचाने के लिए 2 ग्राम थायरम 1 ग्राम बाविस्टीन दवा को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। बुआई के लगभग 7-8 सप्ताह बाद पौध खेत में रोपण के लिए तैयार हो जाती है।