अभी तक अगर खाद्य पदार्थो की बात की जाये तो प्याज की बढ़ी कीमत ने आम आदमी को काफी रुलाया है, जंहा प्याज की अच्छी कीमत से किसानो को फायदा हुआ है वही काफी किसान इस कीमत से कर्जमुक्त भी हुए है। लेकिन एक और हाल ही में मिली जानकारी से आपको रूबरू करवाना चाहेंगे।
प्याज और लहसुन के बाद, महंगा आयात के कारण खाद्य तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई है, तेल उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ताओं को अपनी जेब अभी और ज्यादा प्रभावित होगी क्योंकि तेल उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि तेल की कीमतें और बढ़ सकती हैं।
तेल की कीमतों में पिछले दो महीनों में 20 रुपये प्रति लीटर (35 फीसदी से अधिक) की बढ़ोतरी हुई है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है, आयात के माध्यम से अपने खाद्य तेल की अधिकांश जरूरतों को पूरा करता है।
यह उम्मीद की जाती है कि खाद्य तेल के आयात पर देश की निर्भरता और बढ़ेगी क्योंकि भारी बारिश ने सोयाबीन की फसल को नुकसान पहुंचाया और इस साल रबी तिलहन की खेती की अपेक्षा कम हुई।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी किए गए बुआई आंकड़ों के अनुसार, तिलहनी फसलों का रकबा इस साल 68.24 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल की तुलना में 2.47 लाख हेक्टेयर कम है।
पिछले खरीफ सीजन में प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन का उत्पादन पिछले साल की तुलना में देश में लगभग 18 प्रतिशत कम होने का अनुमान है।