Progressive Farmer: मध्य प्रदेश के प्रगतिशील किसान कर रहे है काले गेहूं, नीले आलू और लाल भिंडी की खेती

Progressive Farmer: मध्य प्रदेश के प्रगतिशील किसान कर रहे है काले गेहूं, नीले आलू और लाल भिंडी की खेती
News Banner Image

Kisaan Helpline

Agriculture Nov 22, 2021

मध्य प्रदेश के प्रगतिशील किसान अपने खेतों में रंग-बिरंगी सब्जियां उगाने का कमाल कर रहे हैं। इनमें नीला आलू, लाल भिंडी व मूली, बैंगनी गोभी, रंग-बिरंगी शिमला मिर्च व अमरूद तक शामिल हैं। पारंपरिक रंग से अलग और सुंदर दिखने वाली ये सब्जियां सामान्य से अधिक दाम में बिकने के कारण किसानों को मुनाफा भी दे रही हैं और नवाचार करने का आनंद भी।

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान बनारस द्वारा तैयार की गई लाल भिंडी की किस्म अब जल्द ही मध्य प्रदेश के बाजार में भी नजर आएगी। भोपाल के प्रयोगधर्मी किसान मिश्रीलाल राजपूत अपने खेतों में इसकी उपज ले रहे हैं। इससे पहले वे काले गेहूं, नीले आलू की भी खेती कर चुके हैं। हालांकि वे अभी लाल भिंडी का बीज तैयार कर रहे हैं, इसके बाद जब वे व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन लेंगे तो सब्जी की दुकानों पर पीली शिमला मिर्च, लाल पत्ता गोभी, हरी फूल गोभी की कतार में लाल भिंडी भी रखी दिखाई देगी।

अगर नई किस्म बाजार में पसंद की गई, तो मुनाफा दुगना भी हो सकता है। आज हम आपको भोपाल के खजूरीकलां गांव के एक ऐसे किसान की कहानी बताने जा रहे हैं, जो खेती में अपने नवाचार के लिए मशहूर हैं। 

प्रदेश में पहली बार लाल भिंडी उगाकर ‘मिश्रीलाल राजपूत’ अपने क्षेत्र में फ़िलहाल चर्चा का विषय बने हुए हैं। लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब उन्होंने कोई नवाचार किया हो। जब से उन्होंने खेती करना शुरू किया है, तब से ही वह कुछ न कुछ हटकर उगा रहे हैं। 

मिश्रीलाल फसलों पर किए जाने वाले अपने नए-नए प्रयोगों के लिए मशहूर हैं। सबसे ज़्यादा चर्चा इनके द्वारा उगाई जाने वाली लाल भिंडी की हो रही है। मिश्रीलाल ने जब अपनी किसानी की शुरुआत की तब से ही कुछ ना कुछ नया करते आ रहे हैं। द बेटर इंडिया से हुई बात में उन्होंने बताया कि वह फ़िलहाल थोड़ी सी जगह में ही लाल भिंडी उगा रहे हैं। इसके अलावा वो ऐसी अनोखी फसल के बीज तैयार कर रहे हैं जिससे कि दूसरे किसान भी इस फसल को उगा सकें।

भोपाल के खजूरीकलां निवासी प्रयोगधर्मी किसान मिश्रीलाल राजपूत उप्र के बनारस स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान से दिसंबर-2020 में लाल भिंडी (काशी लालिमा) के बीज लाए हैं। अब वे जल्द ही बाजार में बड़े पैमाने पर लाल भिंडी उतारेंगे। लाल भिंडी की इस किस्म पर कीट का प्रकोप न के बराबर होता है। साथ ही यह रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग के मरीजों के लिए भी लाभदायी है।
इसमें मौजूद आयरन, कैल्शियम और एंटीआक्सीडेंट इसे हृदय के लिए व फालिक एसिड बधाों के मानसिक विकास में रामबाण है। खेती में अनूठे प्रयोगों के लिए मध्य प्रदेश कृषि भूषण पुरस्कार पा चुके राजपूत औषधीय खेती व रंगीन सब्जी के अपने अनुभव के आधार पर बताते हैं कि 'औषधीय गुणों से भरपूर लाल भिंडी सामान्य से अधिक दाम पर बिकेगी और मुनाफा देगी।

प्रयोगधर्मी किसान मिश्रीलाल राजपूत की Success Story:
"कभी देखा था डॉक्टर बनने का सपना"
किसान परिवार से ताल्लुक रखनेवाले मिश्रीलाल को पहले खेती करना बिल्कुल पसंद नहीं था। वह कहते हैं,  “मैंने बायोलॉजी विषय के साथ बारहवीं की पढ़ाई की थी। तब मैंने सोचा था कि मेडिकल की पढ़ाई करूँगा, लेकिन कुछ कारणों की वजह से मेरी पढ़ाई छूट गई और आख़िरकार किसान का बेटा किसान बन गया।” 

साल 1989 में, जब उन्होंने खेती करने का फैसला किया तब खेत में ज्यादा सुविधाएं भी नहीं थीं और ना ही खेतों में सिंचाई के सही साधन थे। कुछ पारम्परिक फसलें ही थीं, जो उनके पिता उगाया करते थे। समय के साथ धीरे-धीरे खेत में कई मशीनें आईं और उन्होंने कृषि यूनिवर्सिटी से संपर्क करके नए बीजों पर काम करना भी शुरू किया।

साल 1990 में, उन्होंने आधे एकड़ में गेहूं की WH 147 वेरायटी और  हाइब्रिड टमाटर उगाए थे। हालांकि इन बीजों को खरीदने में थोड़ा ज्यादा खर्च हुआ था, लेकिन देसी टमाटर से यह टमाटर ज्यादा दाम में बिके थे। इसके बाद आस-पास के दूसरे किसानों ने भी इन फसलों को उगाना शुरू किया।  

मिश्रीलाल कहते हैं, “सालों पहले जब मैंने गेहूं की WH 147 वेरायटी और हाइब्रिड टमाटर अपने खेत में लगाए थे, तब आस-पास के गांव से किसान देखने आते थे कि इसमें क्या खास है? बस तब से ही खेती में नए-नए प्रयोग करना जारी है।”


खेती में करते रहते हैं प्रयोग
खेती में नवाचार के मामले में वह पुरे राज्य में खासे मशहूर हैं। उन्होंने 1998 में राज्य में सबसे पहले औषधीय खेती करने की शुरुआत की थी। मिश्रीलाल ने मेंथा, सफेद मूसली, लेमन ग्रास आदि उगाया था। इन फसलों में अच्छी कमाई और बाजार की मांग को देखते हुई उन्होंने अपने खेत के अलावा कुछ खेत किराए पर लेकर इसकी खेती की थी। 

हालांकि 2005-2006 में चीन से कृत्रिम सुगन्धित तेल आने के बाद, इसकी बाजार में मांग गिरने लगी। जिसके बाद उन्होंने औषधीय खेती करना धीरे-धीरे बंद कर दिया, लेकिन खेती में दूसरे प्रयोग करना जारी रखा।

कुछ साल पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध चावल, ‘काला नमक’ की भी सफल खेती की थी। वह हमेशा कोशिश करते रहते हैं कि उन फसलों की खेती की जाए, जिसकी मांग बाजार में ज्यादा है और जिससे ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके। 

वह कहते हैं, “हालांकि इन प्रयोगों में कभी-कभी नुकसान भी हो जाता है। इसलिए ज्यादातर किसान नए प्रयोग करने से डरते हैं। लेकिन मैं अपने शौक़ से ये सारे प्रयोग करता हूँ और दूसरे किसानों के साथ अपने अनुभव बांटता भी हूँ।” 

पिछले साल उन्होंने थोड़ी सी जगह में नीले आलू उगाए थे, जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छी और काफी महंगी बिकने वाली सब्जी है। मिश्रीलाल, इस साल इसे तक़रीबन एक एकड़ खेत में लगाने की तैयारी कर रहे हैं। वह लाल भिंडी का बीज भी तैयार कर रहे हैं और अगले साल वह इसका व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन करेंगे। 

उनका कहना है कि बाहर के देशों में लाल भिंडी की बहुत मांग है। उन्होंने भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान बनारस से इसके बीज लाकर  40 डेसिमल जमीन में भिंडी की बोवनी की थी। उनका दावा है कि भिंडी की गुणवत्ता काफी अच्छी है और उन्हें उम्मीद है कि बाजार में सामान्य भिंडी की अपेक्षा लाल भिंडी ज्यादा कीमत में बिकेगी। 

उन्हें खेती में नवाचार के लिए साल 2003 में ‘मध्य प्रदेश कृषि भूषण’ पुरस्कार भी मिल चुका है।

सब्जियों की खेती से कमाया बढ़िया मुनाफा
उनके पास खुद के ढाई एकड़ पुश्तैनी खेत हैं, बाकि के खेत वह भाड़े पर लेते रहते हैं। इस तरह कुल मिलाकर वह साल भर में 20 से 22 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं, जिसमें गेहूं, चना सहित कई मौसमी सब्जियां उगाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल उन्होंने मात्र एक एकड़ खेत में फूलगोभी उगाकर साढ़े चार लाख का मुनाफा हुआ था। 

वह बड़े गर्व से बताते हैं, “खेती में इन प्रयोगों के कारण ही हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। साल 2000 में, मैं अपने गांव में कार खरीदने वाला पहला किसान था।”

वह अपने जैसे दूसरे किसानों को नगदी फसल के साथ हॉर्टिकल्चर (बागवानी) फसलें उगाने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं कि इन फसलों में नुकसान होने की संभावना कम है। वहीं, एक दो साल में अच्छा मुनाफा भी हो जाता है।

समय-समय पर खेती में नए प्रयोग करके, उन्होंने साबित किया है कि वह सही मायनों में एक प्रगतिशील किसान हैं।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline