Makhana Farming: किसानों की आय बढ़ाने के लिए देश में पारंपरिक खेती के बजाय बागवानी और अन्य नकदी फसलों की खेती पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर जिले के आरंग प्रखंड के ग्राम लिंगाडीह में छत्तीसगढ़ के प्रथम मखाना प्रसंस्करण केंद्र 'मखाना खेती, प्रसंस्करण और विपणन केंद्र' का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने लिंगाडीह के ओजस फार्म में मखाना की खेती की शुरुआत करने वाले स्वर्गीय श्री कृष्ण कुमार चंद्रकर दाऊ जी के नाम पर 'दाऊजी' ब्रांड नाम से इस फार्म में उत्पादित मखाना का शुभारंभ किया। श्री बघेल ने कहा कि रबी सीजन में मखाना की खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है। बाजार में मखाने की अच्छी मांग है और इसके भंडारण में कोई दिक्कत नहीं है। मखाना की खेती के बारे में किसानों को जानकारी और प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही उन्हें मखाना बीज की उपलब्धता से लेकर मखाना की बिक्री तक हर संभव प्रोत्साहन दिया जाएगा।
नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है किसानों को
इस अवसर पर 'मखाना खेती, प्रसंस्करण एवं विपणन केन्द्र' के श्री गजेन्द्र चंद्राकर ने मखाना की खेती की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लिंगाडीह के 'मखाना खेती, प्रसंस्करण और विपणन केंद्र' द्वारा किसानों को मखाना की खेती के लिए मुफ्त तकनीकी जानकारी प्रदान की जाती है, इसके अलावा किसानों को समय-समय पर मखाना के खेत का दौरा भी किया जाता है और साथ ही किसानों को खेती का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
शुद्ध आय 70 हजार रुपये प्रति एकड़
'मखाना फार्मिंग, प्रोसेसिंग एंड मार्केटिंग सेंटर' के गजेंद्र चंद्राकर ने कहा कि यह केंद्र किसानों को मखाना की खेती के लिए न केवल बीज उपलब्ध कराता है, बल्कि किसानों द्वारा उत्पादित मखाना भी खरीदता है। उन्होंने और जानकारी देते हुए कहा कि मखाने की खेती तालाब के साथ-साथ एक से डेढ़ फीट गहरे खेत में भी की जा सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि मखाने की खेती से प्रति एकड़ लगभग 70 हजार रुपये का शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है।