एक अनुमान के अनुसार भारत में 50 प्रतिशत भूमि में जिंक (जस्ते) की कमी है, जिंक की कमी से फसलों का उत्पादन 80 प्रतिशत तक कम होता हैं, वह चिंता का विषय है। जिंक की कमी वाले भोज्य पदार्थ खाने से मनुष्य व विशेषकर बालक कुपोषण के शिकार होते है। यह हकीकत जानने के बाद में भी भारत में जिंक युक्त उर्वरक का उपयोग नाम मात्र (1 प्रतिशत )का है। मात्र जिंक उपलब्ध करवाकर कम खर्च में पौष्टिक खाद्य पदार्थ का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
भूमि में स्थिर जिंक को घुलनशील अवस्था में लाने में राइजोस्फीयर जीवाणु का प्रयोग करना।जीवाणुओं को अधिक क्षमतावान बनाकर भूमि में उपलब्ध जिंक को घुलनशील अवस्था में लाना एक संभावना हैं। जीवाणु बेसीलस, ग्लूको एसिटोबेक्टर डाइजोट्रॉपिक्स, स्यूडोमोनास जातियां, जो अघुलनशील जिंक (जस्ते) को घुलनशील अवस्था में लाती।