फसलों में बढ़ा पाला पड़ने का खतरा, किसान भाई ध्यान दें, ऐसे बचाएं अपनी फसल को नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

फसलों में बढ़ा पाला पड़ने का खतरा, किसान भाई ध्यान दें, ऐसे बचाएं अपनी फसल को नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान
News Banner Image

Kisaan Helpline

Agriculture Jan 05, 2024

तापमान में लगातार गिरावट के कारण रबी फसलों में पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। रबी मौसम की फसलों जैसे चना, सरसों, मटर, अलसी, जीरा आदि में पाले से लगभग 80-90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दी के मौसम में जब तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो जाता है, तो हवा में मौजूद नमी और पानी की बूंदें बर्फ के छोटे-छोटे कणों में बदल जाती हैं।  प्रायः पाला पड़ने की सम्भावना 25 दिसम्बर से 15 फरवरी तक अधिक रहती है। जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान काफी कम हो जाये तब पाला पड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप कोशिका भित्ति फट जाती है। जिसे पाला के नाम से जाना जाता है। रबी फसलों में फूल आने एवं बालियाँ/फलियाँ आने व बनते समय पाला पड़ने की सर्वाधिक सम्भावनाएं रहती है। इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये।

किसानों को सलाह
  • फसलों की सिंचाई करने से फसलों का तापमान लगभग 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। जिससे पौधे पर पाले का प्रभाव नहीं पड़ता है.
  • कम ऊंचाई वाली फसलों की सिंचाई के लिए स्प्रे पंप या स्प्रिंकलर का भी उपयोग किया जा सकता है।
  • जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उस दिन फसलों पर 0.1 प्रतिशत सल्फर के घोल का छिड़काव करना चाहिए।
  • इसके लिए 1 लीटर सांद्र सल्फ्यूरिक एसिड को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्लास्टिक स्प्रेयर से छिड़काव करें।
जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो, उस दिन फसलों पर 1 मिलीलीटर सल्फ्यूरिक एसिड या डाइमिथाइल सल्फोऑक्साइड प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करें। ध्यान रखें कि घोल का छिड़काव पौधों पर अच्छी तरह से करें। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर एवं पाला पड़ने की संभावना हो तो 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहरायें अथवा थायोयूरिया 500 पीपीएम (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

खेतों में फसल के अवशेष, पत्तियां, कूड़ा-कचरा और घास जलाकर धुआं करें।
फसलों को पाले से बचाने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले रस्सी की सहायता से एक मेड़ से दूसरे मेड़ तक ले जाएं और फसलों को हिलाकर जमे हुए बर्फ के कणों को हटा दें।

सरसों, गेहूं, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फर का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौह तत्व की जैविक और रासायनिक गतिविधि भी बढ़ती है, जो पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और पकने में मदद करती है। फसल जल्दी. दीर्घकालीन उपाय के रूप में फसलों की सुरक्षा के लिए यदि खेत की उत्तर-पश्चिमी मेड़ों तथा बीच-बीच में उपयुक्त स्थानों पर पवन अवरोधक वृक्ष जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी, अरडू आदि लगा दिये जायें तो उनकी सुरक्षा हो जायेगी। पाले और ठंडी हवा के झोंकों से फसल बच सकती है।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline