फसलों के लिए काल है पाला! बचाव के लिए अपनाएं ये आसान उपाय, वरना हो सकता है भारी नुकसान

फसलों के लिए काल है पाला! बचाव के लिए अपनाएं ये आसान उपाय, वरना हो सकता है भारी नुकसान
News Banner Image

Kisaan Helpline

Agriculture Dec 18, 2023

सर्दी का मौसम शुरू होते ही सर्दी एक बड़ी समस्या बन जाती है। अधिक ठंड के कारण फसलों पर पाला पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। रोग न होने के बावजूद पाला विभिन्न फसलों, सब्जियों, फूलों और फलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

देश के किसान अपनी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। इसके लिए वह सिंचाई के साथ-साथ फसलों को समय पर खाद उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान देते हैं। लेकिन किसानों को कई बार कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। दिसंबर से फरवरी तक की ठंड के दौरान फसलों पर कीटों के प्रभाव के अलावा पाले का भी खतरा रहता है। दरअसल, पाला गेहूं की फसल का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। गेहूं की फसल के लिए पाला नुकसानदायक हो सकता है। पाला गेहूं को काफी नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पैदावार कम हो सकती है या फसल पूरी तरह नष्ट हो सकती है। इसलिए, गेहूं की फसल को पाले से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाना जरूरी है, खासकर विकास की कमजोर अवस्था के दौरान।

अब धीरे-धीरे देश में शीतलहर शुरू हो गई है, जो गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। ऐसे में किसानों के लिए अपनी फसलों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है. आइए आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताते हैं जिनसे आप गेहूं की फसल को पाले से बचा सकते हैं।

कितना हो सकता है फसलों पर पाले से नुकसान?

सर्दी के मौसम में शीत लहरें और पाला सभी फसलों को कुछ नुकसान पहुंचाते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता जैसी सब्जियों और केले के पौधों तथा मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ, अफीम आदि चीजों से 80 से 90% तक हो सकता है। अरहर, गन्ने में 50 प्रतिशत तथा गेहूँ एवं जो में 10 से 20 प्रतिशत हानि होती है।

पाले का फसलों पर प्रभाव
  • ठंड के दिनों में पाले के प्रभाव से फल मुरझाने लगते हैं तथा फूल गिरने लगते हैं।
  • प्रभावित फसल का हरा रंग गायब हो जाता है तथा पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा हो जाता है।
  • ऐसी स्थिति में पौधों की पत्तियां सड़ने से जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है।
  • पत्तियाँ, फूल और फल सूख जाते हैं। फल पर धब्बे पड़ जाते हैं और स्वाद भी ख़राब हो जाता है।
  • पाले से प्रभावित फसलों में कीटों का प्रकोप भी बढ़ जाता है।
  • पाले के कारण अधिकांश पौधों के फूल झड़ने से उनकी उपज कम हो जाती है।
फसलों को पाले से बचाने के उपाय
  • शीत लहर चलने पर फसल में हल्की सिंचाई करें।
  • शाम के समय सूखी घास, पुआल और गोबर के उपले जलाकर उसका धुआं करें।
  • यदि संभव हो तो फसल की पत्तियों पर पानी का छिड़काव करें।
  • किसान स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई कर पाले से अपना बचाव कर सकते हैं।
  • आप 500 ग्राम थायोयूरिया को 1000 लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव कर सकते हैं या 8-10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ छिड़क सकते हैं।
  • बेटेवल या घुलनशील सल्फर तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करने से पाले के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline