पलाश फूल की खेती के टिप्स : जैसा की आप सभी जानते है पलाश का फूल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस फूल का उपयोग होली के रंग बनाने के लिए भी किया जाता है। हालांकि, पिछले कुछ सालों से इस फूल की खेती में भारी गिरावट आई है। लेकिन फिर भी किसान इसकी खेती से अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं पलाश के फूल की खेती से जुड़ी अहम बातें...
उत्तर प्रदेश का राजकीय पुष्प
पलाश के फूल को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे परसा, ढाक, टेसू, किशक, सुपका, ब्रह्मवृक्ष और वन की ज्वाला जैसे शब्दों से जाना जाता है। पलाश उत्तर प्रदेश का राजकीय फूल भी है। इस फूल के हर हिस्से से अच्छा मुनाफा हो सकता है।
भारत में पलाश की खेती
भारत में पलाश के फूल की सबसे ज्यादा खेती झारखंड, दक्षिण भारत, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में होती है।
उपयोग के बारे में
इसकी पत्तियों, छाल, जड़ और लकड़ी का उपयोग विभिन्न प्रकार के जैविक उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। इसका पाउडर और तेल भी बाजार में अच्छे दामों पर बिकता है। पलाश का पेड़ एक बार लगाने के बाद 40 साल तक जीवित रहता है।
पलाश के फूल के फायदे
जानकारों के अनुसार अगर नाक, कान, मल-मूत्र या अन्य किसी जगह से खून बह रहा हो तो पलाश की छाल का 50 मिलीलीटर काढ़ा बनाकर ठंडा करके मिश्री में मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है। पलाश के गोंद में 1 से 3 ग्राम मिश्री मिलाकर दूध या आंवले के रस के साथ लें। इससे हड्डियां मजबूत होंगी, साथ ही गर्म पानी में गोंद मिलाकर पीने से डायरिया का इलाज किया जा सकता है।
इसकी खेती करके कमाएं अच्छा मुनाफा
किसान चाहें तो छोटे पैमाने पर पलाश के पेड़ लगाकर भी 30 साल से ज्यादा समय तक मुनाफा कमा सकते हैं। साथ ही सब्जियों की अंतर-खेती से अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। एक एकड़ में पलाश के 3200 पौधे लगाए जा सकते हैं, जो 3 से 4 साल में फूल देने में सक्षम हो जाते हैं। इसके पौधे आप किसी भी प्रमाणित नर्सरी से भी खरीद सकते हैं।