नितिन गडकरी ने बताया अनोखा प्लान, अब पराली से बनेगा बायो-बिटुमन सड़क बनाने में होगा इस्तेमाल

नितिन गडकरी ने बताया अनोखा प्लान, अब पराली से बनेगा बायो-बिटुमन सड़क बनाने में होगा इस्तेमाल
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Kisaan Helpline

Agriculture Nov 09, 2022

पराली को देश के पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें पराली के निस्तारण के लिए कदम उठा रही हैं। राज्यों में पराली हटाने के लिए हार्वेस्टर मशीनें दी गई हैं। अन्य मशीनों से भी पराली का निस्तारण किया जा रहा है। वहीं केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पराली संकट को बड़े पैमाने पर खत्म करने की कवायद शुरू कर दी है, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने पराली से होने वाले प्रदूषण की समस्या को खत्म करने के लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पराली का इस्तेमाल देश में राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों के निर्माण में किया जाएगा। इस संबंध में केंद्र सरकार शीर्ष स्तर पर खाका तैयार कर रही है।

पराली से बनेगा बायो बिटुमेन
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में कहा कि देश में अगले तीन महीने में नई तकनीक लाई जाएगी। इसमें खेत में पड़ी पराली का इस्तेमाल ट्रैक्टर में मशीन लगाकर बायो-बिटुमेन बनाने में किया जाएगा। इस बायो बिटुमेन का इस्तेमाल देश की सड़क बनाने में किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके लिए नई तकनीकी रूपरेखा पेश की गई है। यह अगले दो से तीन महीने में रिलीज हो जाएगी।
उन्होंने किसानों की बदलती भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि, मैं लंबे समय से कह रहा हूं कि देश के किसान भोजन के साथ ऊर्जा पैदा करने में सक्षम हैं। किसान सड़क निर्माण के लिए बायो-बिटुमेन और पेट्रोलियम के लिए आवश्यक एथेनॉल का उत्पादन कर सकते हैं।


बायो बिटुमेन क्या है?
बायो बिटुमेन को कोलतार कहते हैं। यह एक काले रंग का तरल है जो सड़कों पर डाला जाता है। सड़क पर बजरी और अन्य पत्थरों को चिपकाकर यह सड़क को आकार देने का काम करता है। अभी तक पराली का उपयोग कोलतार बनाने में नहीं किया जाता है। बायोबिटुमेन ऐसे पदार्थों को मिलाकर बनाया जाता है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं। इससे पर्यावरण पर ग्रीन हाउस प्रभाव सहित अन्य प्रभाव नहीं दिख रहे हैं। केंद्र सरकार पराली से बायो बिटुमेन बनाएगी। उसमें कार्बन उत्सर्जन का भी ध्यान रखा जाएगा।

यूरोपीय संघ हर साल 15 मिलियन टन बायो-बिटुमेन का उत्पादन करता है
जैव कोलतार के उत्पादन में यूरोपीय संघ का प्रमुख योगदान है। यूरोपीय संघ हर साल लगभग 15 मिलियन टन कोलतार का उत्पादन करता है। इसका अधिकतर उपयोग डामर बनाने में किया जाता है। यह चिपचिपा कोलतार सब कुछ एक साथ रखता है। 90 फीसदी सड़कों पर डामर का इस्तेमाल होता है। Biobitumen का उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका, नीदरलैंड, अफ्रीकी देशों, भारत सहित अन्य देशों में भी किया जाता है।

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