नए शोध अध्ययन ने अरहर दाल के उपजाऊपन पर डाला नया प्रकाश

नए शोध अध्ययन ने अरहर दाल के उपजाऊपन पर डाला नया प्रकाश
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Kisaan Helpline

Agriculture Jul 20, 2020

इस शोध अध्ययन से पता चला कि अरहर दाल की स्मार्ट हाइब्रिड का उत्पादन करने के लिए फलियों के मेल स्टेरिलिटी (male strerility) को बदला जा सकता है
शोधकर्ताओं ने The Plant Genome Journal में प्रकाशित शोध पत्र में दर्शाया है कि, कैसे तापमान, कुछ अरहर दाल की किस्म में मेल स्टेरिलिटी नियंत्रित करने की क्षमता और उसके आणविक प्रक्रिया को उजागर किया है। उन्होंने,  यह भी दर्शाया कि ऑक्सिन (auxin) उपचार के साथ मेल स्टेरिलिटी को बदला जा सकता है।

शोध अध्ययन के नए निष्कर्षों से ऐसी तकनीक की उम्मीद की जा सकती है जो अरहर फसल में संकर प्रजाति को विकसित करने में लागत और प्रयास को कम कर सकती है। अरहर दाल, दक्षिण एशिया और पूर्वी अफ्रीका में प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत है, जहां यह बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। संकरण इसकी उपज से जुड़ी बाधाओं को ख़त्म करने में के लिए महत्वपूर्ण रहा है है। सबसे पुरानी खाद्य फसलों में से एक, अरहर दाल का वैज्ञानिक नाम Cajanus Cajun है और यह लोकप्रिय रूप से लाल चना, अरहर दाल, तुअर दाल और गूंगो मटर नाम से भी जाना जाता है।

इस शोध के माध्यम से, वैज्ञानिकों ने दर्शाया कि अरहर की किस्म, जिन्हें पर्यावरण-संवेदनशील जिनिक स्टेराइल (EGMS) लाइन कहा जाता है, पर्यावरण के प्रति प्रतिक्रिया दिखा के मेल स्टेराइल से मेल फर्टाइल बन जातें है, अगर पर्यावरण के बढ़ते तापमान को 24 डिग्री सेल्सियस तक कम कर दिया जाए।

इस शोध पत्र की शीर्ष लेखिका डॉ৹ लेखा पझामला, वैज्ञानिक, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT), ने बताया की, इस अध्ययन से यह पता चला की, अरहर में परागकण (Pollen) विकास के टेट्राड (tetrad) और माइक्रोस्पोर चरण के दौरान दिन के तापमान को 24ºC के थ्रेशोल्ड के नीचे कम करके मेल स्टेरिलिटी की अवस्था को बदला जा सकता है।

थ्रेशोल्ड तापमान का निर्धारण करने के बाद, वैज्ञानिको के समूह ने मेल स्टेरिलिटी के आणविक आधार को समझने के लिए, उलटे क्रम में प्रयोग स्थापित कर, प्रोटीन एक्सप्रेशन से मेटॉबॉलिक पाथवे और फिर जीन एक्सप्रेशन का अध्ययन किया।

हमने, REVEILLE 1 नामक एक ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर (जीन) की पहचान की है, जो ऑक्सिन (auxin) के स्तर को रेगुलेट करके, दिन के तापमान के प्रभाव, विशेष रूप से सुबह के समय, स्टेरिलिटी ट्रांजीशन में मदद करता है"- डॉ৹ राजीव कुमार वार्ष्णेय,  रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर - जेनेटिक गेन्स (Research Program Director– Genetic Gains), ICRISAT और इस शोध अध्ययन के लीडर (Leader) ने जानकारी दी और कहा की यह सफलता का परिणाम है। बहु-विषयक (multi-disciplinary) और बहु-संस्थानीय (multi-institutional) वैज्ञानिकों की टीम के ट्रांसक्रिपटॉमिक्स, प्रोटिओमिक्स, मेटाबोलोमिक्स और कम्प्यूटेशनल जीनोमिक्स के एकीकृत अध्ययन, जिसे हम सिस्टम बायोलॉजी कहते हैं।

ऑक्सिन (auxin) एक प्रकार के हार्मोन हैं जिन्हे पौधे अपनी विकास की प्रकिया के दौरान पैदा करते हैं। तापमान-ऑक्सिन-प्रतिलेखन कारक-पराग चरण लिंक का निर्धारण करके, शोधकर्ता ने इस अध्ययन से यह दर्शाने में सफलता प्राप्त की, कि बाहरी ऑक्सिन उपचार से, जब दिन का तापमान सीमा से अधिक हो, तो भी मेल स्टेरिलिटी को दूर कर सकता है।

डॉ৹ रचित सक्सेना, वरिष्ठ वैज्ञानिक- एप्लाइड जीनोमिक्स, ICRISAT और इस अध्ययन के सह-प्रमुख (Co- lead) ने बताया, हमने इंडोल-3-एसिटिक एसिड (IAA), जो प्राकृतिक रूप पाया जाने वाला सबसे आम ऑक्सिन है, के बहिर्जात अनुप्रयोग के माध्यम से मेल स्टेरिलिटी को बदलने में ऑक्सिन (Auxin) की भूमिका का भी प्रमाण प्रस्तुत किया। इससे संकेत मिले हैं, कि अनियमित ऑक्सिन के स्तर के कारण परागकण (Pollen) की दीवार मोटी हो जाती है, जिससे पोषक तत्वों का प्रवेश व्याधित होता है, जो कुपोषण और बाद में मेल स्टेरिलिटी के लिए जिम्मेदार होता है।

अध्ययन की पृष्ठभूमि और महत्व
एक दशक से पहले, ICRISAT के अरहर दाल प्रजनकों (pigeon pea breeders) ने कुछ अरहर लाइनों में मेल स्टेरिलिटी संक्रमण देखा। लेकिन, वर्तमान के इस अध्ययन तक, यह स्पष्ट नहीं था कि संक्रमण कैसे हुआ और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे कैसे विनियमित किया जा सकता है। बीच के वर्षों में, ICRISAT और भागीदारी संस्थानों ने दुनिया की पहली अरहर संकरण तकनीक विकसित की, जो एक संकर उत्पादन के लिए तीन लाइनों का उपयोग करती है। इन ह्यब्रिडस ने शुद्ध लोकप्रिय किस्मों की तुलना में 30-40% तक अधिक उपज दर्शायी है।

हालांकि, तीन-लाइन प्रणाली का उपयोग करके एक संकर का उत्पादन करना जटिल प्रक्रिया है। यदि (EGMS) लाइनों के साथ अरहर के लिए दो-लाइन प्रणाली विकसित की जा सकती है, जैसा कि चावल के लिए किया गया था, तो यह संकर उत्पादन की लागत और प्रयास को काफी कम कर सकता है। इस प्रकार, ICRISAT में EGMS अरहर लाइनों का अध्ययन करने का प्रयास शुरू किया, और इस अध्ययन में इसका समापन हुआ।

"EGMS लाइन के साथ, सटीक तापमान नियंत्रण का उपयोग किसानों के लिए संकर बीजों के उत्पादन और स्वयं हाइब्रिड को गुणा करने के लिए किया जा सकता है," वियना विश्वविद्यालय (Vienna University) के वियना मेटाबोलॉमिक्स सेंटर के निदेशक प्रोफ़ेसर वोल्फराम वेकवर्थ, ने कहा और वातावरण में जहां दिन का तापमान अनुकूल नहीं होता है, वहाँ ऑक्सिन का उपयोग, मेल स्टेरिलटी से मेल फर्टिलिटी के संक्रमण को प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है। अध्ययन के परिणाम किसानों के खेतों तक पहुँचने के लिए हम तत्पर हैं।

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