MP News: पिछले कुछ दशकों से देश में अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए बड़े पैमाने पर रासायनिक खेती की शुरुआत की गई थी। जिससे एक ओर जहां मिट्टी की सेहत खराब हुई है, वहीं दूसरी ओर मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। कीटनाशकों के प्रयोग से फसल को कीटों और बीमारियों से बचाया जा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके प्रयोग से हमारे स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है? इस दौरान जहां एक ओर सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई-नई पहल करती है, वहीं दूसरी ओर खेतों में कीटनाशकों का अधिक मात्रा में उपयोग बढ़ती बीमारियों का कारण बन रहा है। जो केंद्रीय और राज्य के मंत्रियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देने का आह्वान कर चुके हैं। यही कारण है कि देश के किसान अब रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक खेती पर ध्यान दे रहे हैं।
किसानों को जैविक खेती का प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कम से कम 3 वर्ष का समय लगता है। किसानों को जैविक उत्पादन के मानक नियम के अनुसार जैविक खेती का प्रमाण पत्र कम से कम 3 साल तक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को रोकने के बाद ही मिलता है। इस दौरान खेत में रासायनिक तत्वों का प्रभाव समाप्त हो जाता है और भूमि जैविक खेती के लिए तैयार हो जाती है।
पंजाब में कैंसर एक्सप्रेस का उदाहरण देते हुए कमल पटेल ने कहा कि अगर कृषि में इस तरह कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है तो भविष्य में कैंसर के मरीजों की संख्या इतनी बढ़ जाएगी कि उन्हें अस्पताल में जगह नहीं मिल पाएगी। इसलिए जैविक खेती, गोवंश आधारित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और प्राकृतिक अनाज और फल और सब्जियां मिल सकें।
इसके अलावा कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प के साथ काम कर रहे हैं। इसके साथ ही वे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का काम भी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए माहौल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसे वह हर संभव तरीके से पूरा करेंगे।
पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 दिसंबर को गुजरात के किसानों को संबोधित करेंगे, जिसके लिए राज्य की सभी 258 मंडियों में एलईडी स्क्रीन लगाने की व्यवस्था की गई है। जहां वह जैविक खेती पर प्रधानमंत्री का बात सुनेंगे।
कृषि मंत्री पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश के जिन जिलों में जनजातियां खेती करते हैं, वहां फिलहाल कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होता है। उनके उत्पाद पूरी तरह से जैविक हैं। प्रमाणीकरण की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए मध्य प्रदेश में एपीडा का कार्यालय खोला गया है। जैविक प्रमाणीकरण होने के बाद वनवासियों की उपज का बेहतर मूल्य मिलेगा। इसका निर्यात किया जा सकता है और जिसके माध्यम से किसानों को उनकी उपज का अधिक मूल्य मिलेगा।