मौसमी फूलों की खेती एक बेहतरीन जरिया है कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का

मौसमी फूलों की खेती एक बेहतरीन जरिया है कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का
News Banner Image

Kisaan Helpline

Agriculture Dec 23, 2022

फूलों की खेती आधुनिक खेती के जरिए में एक बेहतरीन जरिया है कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का। आज के व्यस्त जीवन में, फूलों के बगीचे में विभिन्न प्रकार के फूलों को उगाकर मानसिक शांति प्राप्त की जा सकती है। इन पौधों को गमलें, क्यारियाँ, बरामदे और टोकरियों की मदद से खिड़कियों के चारों ओर आसानी से उगाया जा सकता है। एक-वर्ष या मौसमी फूलों के पौधों को उन लोगों को कहा जाता है जो बारिश या एक मौसम में अपना जीवन चक्र पूरा करते हैं. किसी भी उद्यान को थोड़े समय में ही मौसमी पुष्पों से रंग-बिरंगा व सुंदर बनाया जा सकता है। सालों भर होने वाले फूलों के पौधों की अपेक्षा मौसमी फूलों के पौधों से लगातार दो या तीन माह में ही फूलों से आच्छादित एक भरा-पूरा उद्यान सफलतापूर्वक बनाया जा सकता है। मौसमी पुष्पों का सबसे बड़ा गुण यह है कि वे आसानी से उगाये जा सकते हैं। मौसमी फूल मुख्यत: शीत ऋतु, ग्रीष्म एवं वर्षा ऋतु में लगाए जाते हैं।

फूलों के पौधों को तैयार करने की तरीका
मौसमी फूलों के पौधों को अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जाता है, कुछ किस्मों को पहले नर्सरी में तैयार किया जाता है और फिर कई किस्मों के बीजों को सीधे क्यारियों में लगाए जाते हैं। उनके बीज बहुत छोटे हैं। पौधों को उनकी पर्याप्त देखभाल करने के बाद तैयार किया जाता है।

उपयुक्त भूमि का चुनाव और उसकी तैयारी
ऐसी भूमि का चयन करें जिसमें पर्याप्त मात्रा में जीवांश हों। सिंचाई और जल निकासी के लिए उचित सुविधाएं होनी चाहिए। फूलों की खेती के लिए रेतीली दोमट भूमि सबसे अच्छी है। भूमि लगभग 30 सेमी की गहराई तक खोदें, गोबर की खाद, उर्वरक, आकारके अनुसार मिश्रित करें (1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में 25-30 क्विंटल गोबर की खाद ) और अन्य मौसमों की तुलना में बरसात के मौसम में नर्सरी का ख्याल रखें।

बीज की बुवाई और रोपाई का तरीका
क्यारियों को आकार के अनुसार समतल कर 5 सें.मी. की दूरी पर गहरी पक्तियाँ बनाकर उनमें 1 से.मी. की दूरी पर बीज बोयें। बीज बोते समय इस बात का ध्यान रखें कि बीज एक सें.मी. से अधिक गहरा ना जावे। बाद में हल्की परत से ढंकें। सुबह शाम हजारे से पानी देवें। जब पौध लगभग 15 सें.मी. ऊँचे हो जायें तब रोपाई करें। क्यारियों में रोपाई निर्धारित दूरी पर करें। सबसे आगे बौने पौधे 30 सें.मी. तक ऊँचाई वाले 15-30 से.मी. दूरी पर, मध्यम ऊँचाई 30 से 75 सें.मी. वाले पौधे, 35 सें.मी. से 45 सें.मी. तथा लंबे 75 सें.मी. से अधिक ऊँचाई रखने वाले पौधे 45 सें.मी. से 50 सें.मी. की दूरी पर रोपाई करें।

देखभाल
  • सिंचाई: बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं है। यदि लंबे समय तक बारिश नहीं होती है, तो उस स्थिति में आवश्यकता - नुसार सिंचाई करें। शरद ऋतु में 7-10 दिनों की सिंचाई और गर्मियों में 4-5 दिन।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार भूमि से नमी और पोषक तत्व लेना जारी रखते हैं, जो पौधे के विकास और विकास दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसलिए, उनकी रोकथाम के लिए, खुरपी की मदद से घास फूस निकालते रहें।
खाद और उर्वरक
पोषक तत्वों की उचित मात्रा भूमि, जलवायु और पौधों की विविधता पर निर्भर करती है। आम तौर पर, यूरिया -100 किलोग्राम, सिंगल सुपर फॉस्फेट 200 किग्रा और पोटाश 75 किलोग्राम का मिश्रण बनाएं, और भूमि में 10 किलोग्राम प्रति 1000 वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिला देवें। उर्वरक देते समय, ध्यान रखें कि भूमि में पर्याप्त नमी हो।

तरल खाद
मौसमी फूलों के उचित विकास और अच्छे फूलों के उत्पादन के लिए तरल खाद को बहुत उपयोगी माना जाता है। इसमें थोड़ी मात्रा में गोबर की खाद और पानी के मिश्रण को मिलाना अमोनियम सल्फेट को मिलाने के लिए फायदेमंद है।

पौधे की सुरक्षा
  • रोग : फूलों में विल्ट, फफूँदी, कैंकर, पत्तियों का धब्बा रोग विभिन्न अवस्था में लगते हैं। इसकी रोकथाम हेतु गंधक का मिश्रण या फिर डायथेन एम-45 दवा, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से लाभ होता है।
  • कीट : फूलों में विविल, मक्खी, बीटिल, मोम आदि कीट लगते हैं। इसकी रोकथाम हेतु कीटनाशक दवा ट्राइजोफॉस 2 मिली लीटर दवा/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मौसमी फूलों का वर्गीकरण
  • वर्षा कालीन मौसमी फूलः इन पौधों के बीजों को अप्रैल-मई में पौधशाला में बुवाई करें और जून-जुलाई में इसकी पौध को क्यारियों या गमलों में लगावें । मुख्य रूप से डहेलिया, वॉलसम, जीनिया, वरवीना आदि के पौध रोपित करें।
  • शरद कालीन मौसमी फूल: इन पौधों के बीजों को अगस्त-सितम्बर या पौधशाला में बोयें एवं अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में गमलों या क्यारियों में रोपाई करें। इन पर फूल फरवरी मार्च तक लगते हैं। मुख्य रूप से एस्टर, कार्नफ्लावर, स्वीट सुल्तान, वार्षिक गुलदाउदी, क्लाकिया, लार्कस्पर, कारनेशन, लूपिन, स्टाक, पिटुनिया, फ्लॉक्स, वरवीना, पैंजी आदि के पौधे लगायें ।
  • ग्रीष्म कालीन मौसमी फूल: इन पौधों के बीज दिसम्बर-जनवरी में बोयें एवं फरवरी में लगायें इन पर अप्रैल से जून तक फूल रहते हैं। मुख्य रूप से जीनिया, कोचिया, ग्रोमफ्रीना, एस्टर, गैलार्डिया, वार्षिक गुलदाउदी लगायें।
मौसमी फूलों के उद्देश्य की पूर्ति हेतु मुख्य पौधे
  • क्यारियों में लगाने हेतुः एस्टर, वरवीना, फ्लॉस्क, सालविया, पैंजी, स्वीट विलयम, जीनिया 
  • गमले में लगाने हेतु :- गेंदा, कार्नेशन, वरवीना, जीनिया, पँजी आदि शैल उद्यानों में लगाने हेतु : अजरेटम, लाइनेरिया, वरबीना, डाइमार्फीतिका, स्वीट एलाइसम आदि
  • पट्टी, सड़क या रास्ते पर लगाने हेतु : पिटुनिया, डहेलिया, केंडी टफ्ट आदि।
  • लटकाने वाली टोकरियों में लगाने हेतु: स्वीटएलाइसम, वरबीना, पिटुनिया, नस्टरशियम, पोर्तुलाका, टोरोन्सिया सुगंध के लिये पौधेः स्वीट पी, स्वीट सुल्तान, पिटुनिया, स्टॉक, वरवीना, बॉल फ्लॉक्स।
  • बाड़ के लिये पौधे : गुलदाउदी, गेंदा आदि।
बीज एकत्रित करना: बीज के लिये फल चुनते समय फूल का आकार, फूल का रंग, फूल का स्वास्थ अच्छा हो, चुनना चाहिये। जब फूल पककर मुरझा जायें तब उसे सावधानी से काट कर धूप में सुखा लें फिर सावधानी से मलकर उनके बीज निकाल लें और फिर उन्हें शीशे के बर्तन या पॉलीथीन की थैली में बंद कर लें।

Agriculture Magazines

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline