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मौसम में बदलाव और समूचे उत्तर भारत में आंधी-तूफान बारिश और ओला वृष्टि के कारण पंजाब और हरियाणा में गेहूं की कटाई प्रभावित हो सकती है। इस से प्रभाव ये होगा की गेहूं की आवक करीब 10-15 दिनों तक लेट हो सकती है। इसके
कारण बाजार में
गेहूं के मूल्यों में गिरावट थम गई है। वैसे विशेषज्ञों का कहना है कि इस बारिश से
गेहूं बदरंग होने की तो आशंका है लेकिन कुल उत्पादन पर कोई असर होने के आसार नहीं
है।
पंजाब व हरियाणा
में गेहूं बदरंग होने का अंदेशा
पिछले दो-तीन दिनों से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश तक जगह-जगह मौसम बिगड़ा। वैसे तो मौसम सुहाना हो गया और आम लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली। लेकिन खेती और किसानों के लिहाज से देखें तो यह मौसम चिंता ही लेकर आया। भारतीय गेहू एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि जिन स्थानों पर फसल काटकर इकट्ठी करके रखी गई थी, वहां बारिश होने के कारण नमी से गेहूं का दाना बदरंग हो सकता है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अभी काफी फसल की कटाई होनी बाकी है। ऐसे में यह नुकसान इन राज्यों में हो सकता है। ऐसी फसल को ओला वृष्टि से ही ज्यादा नुकसान हो सकता है। ओले कुछेक क्षेत्रों में ही पड़े हैं। ज्यादातर क्षेत्रों में बारिश और आंधी-तूफान ही आया है। पंजाब और हरियाणा में ज्यादा कटाई हार्वेस्टर से ही होती है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में 90 फीसदी कटाई पहले ही हो चुकी है।इसलिए इन राज्यों में नुकसान का कोई खास अंदेशा नहीं है।
कटाई और आवक में 10-15 दिनों की देरी
अचानक से मौसम की
खराबी से गेहूं की कटाई में व्यवधान अवश्य उत्पन्न हो गया है। इस बारे में संस्थान
के निदेशक सिंह का कहना है कि फसल की कटाई में करीब दस दिनों की देरी हो सकती है।
बारिश के कारण कुछ दिनों की और देरी होगी। खेतों की खड़ी फसल सूखने के लिए इंतजार
करना होगा। तभी कटाई हो सकेगी। वैसे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के एक अधिकारी का
अनुमान है कि खरीद केंद्रों पर गेहूं की आवक में दो-तीन दिन ही असर आ सकता है।
बारिश के बाद मौसम खुलने और तेज धूप होने के कारण फसल जल्दी ही कटने योग्य हो
जाएगी और खरीद केंद्रों पर गेहूं की आवक फिर से तेज हो जाएगी।
कुल उत्पादन पर
नहीं होगा असर
गर्मी के मौसम
में हुई इस बारिश से गेहूं के कुल उत्पादन के बारे में गेहूं अनुसंधान संस्थान के
निदेशक का कहना है कि इस बारिश से कोई नुकसान होने का अंदेशा नहीं है। आंधी-तूफान
ऐसे समय में आया है जब गेहूं की फसल सभी राज्यों में पककर तैयार हो चुकी है। गेहूं
की औसत उत्पादकता बढ़ने के कारण कुल उत्पादन 10.5 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। जबकि पिछले साल गेहूं का
उत्पादन पिछले साल 9.97 करोड़ टन रहा था।
गेहूं की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 3.4 टन से बढ़कर 3.8 टन होने की
संभावना है। इस साल गेहूं उत्पादन का कुल क्षेत्र 297 लाख हैक्टेयर रहा है।
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