मसूर की खेती में खरपतवार नियंत्रण, कीट और भण्डारण कैसे करे?

मसूर की खेती में खरपतवार नियंत्रण, कीट और भण्डारण कैसे करे?
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Kisaan Helpline

Agriculture Dec 31, 2019

खरपतवार नियंत्रण : मसूर में पाए जाने वाले मुख्य खरपतवारों में चेनोपोडियम एल्बम (बथुआ), विकिया सैटिवा (अकरी), लैथिरस एसपीपी (चट्टीमेट्री) आदि होते हैं। इन्हें 30 और 60 दिनों के अंतराल पर 2 कुदाल से नियंत्रित किया जा सकता है। उचित फसलों की पैदावार और उपज के लिए 45-60 दिनों की खरपतवार मुक्त अवधि बनाए रखनी चाहिए। बुवाई के 50 दिनों के बाद एक कुदाल के साथ स्टॉम्प 30EC @ 550ml / एकड़ का पूर्व-उद्भव अनुप्रयोग, प्रभावी खरपतवार नियंत्रण में मदद करता है।

कीट एवं रोग रोकथाम :

फलीछेदक - मसूर की खेती में इस कीट का प्रकोप होने पर प्रोफेनोफॉस 50 EC, 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या इमामेक्टिंन बेन्जोएट 5 एस जी 0.2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें।

माहू (एफिड) - इस कीट से बचाव के लिए प्रकोप आरम्भ होते ही डायमिथोएट 30 EC, 1.7 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या इमिडाक्लोरोप्रिड 17.8 एस एल की 0.2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे।

रतुआ (रस्ट) - इस किट से बचाव के लिए फसल पर मैंकोजेब 75 डब्लू पी कवकनाशी का 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) घोल बनाकर बुवाई के 50 दिन बाद छिडकाव करें तथा दूसरा 10 से 12 दिन के बाद जरूरत के हिसाब से करें।

उकठा (विल्ट) - बुवाई से पूर्व बीज को थायरम व कार्बेन्डाजिम (2:1) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करके ही बोनी करें, उकठा निरोधक एवं सहनशील किस्मों जैसे पन्त मसूर- 5, आई पी एल- 316, आर वी एल- 31, शेखर मसूर- 2, शेखर मसूर- 3 इत्यादि उगायें।

भण्डारण : कटाई उचित समय पर की जानी चाहिए जब पौधे सूख जाएं और फली परिपक्व हो जाए। फली के अधिक समय पकने से बचाना चाहिए क्योंकि बिखरने से उपज खो सकती है। फसल को डंडे से पीटकर भी निकाला जाता है। थ्रेशिंग के बाद, बीज को साफ किया जाता है, और धूप में सुखाया जाता है। भंडारण के समय नमी की मात्रा 12% होनी चाहिए। किस्म के अनुसार पानी वाले क्षेत्रों में 8-10 क्विन्टल व सिंचाई करने पर 15-16 क्विन्टल प्रतिहेक्टेयर मसूर की उपज प्राप्त होती है।

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