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मोतिहारी बिहार। दिल में कुछ अलग करने की इच्छा हो और बेहतर मार्गदर्शन मिल जाएं तो उसके परिणाम सुखद ही होते हैं। पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया प्रखंड स्थित माधोपुर गांव की महिलाओं ने इस को सच साबित भी किया है। कुछ साल पहले तक ये महिलाएं अपनी आर्थिक मजबूरी का रोना रोती थीं। प्रशिक्षण के बाद इन लोगों ने मशरूम की खेती करना शुरू की और आज इनकी जिंदगी बिल्कुल बदल गई है। ये दूसरी महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं। नाबार्ड के सहयोग व कृषि विकास समिति के प्रयास से करीब 150 महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त कर मशरूम की खेती करना शुरू की। खेत नहीं होने के बाद भी इन्होंने घर में ही इसका उत्पादन शुरू किया और आसपास के इलाकों में बेचने लगे। ये महिलाएं प्रतिमाह चार से पांच हजार रुपये अर्जित कर परिवार को चला रही हैं।
नाबार्ड से मिला अच्छा सहयोग
नाबार्ड ने इन महिलाओं को एक वर्ष पूर्व कृषक विकास समिति के माध्यम से समूह बनाकर मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित किया था। इसके लिए इन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण देकर खेती करने के गुर सिखाए गए। इसके बाद उत्पाद को बाजार ले जाने तक उसकी निगरानी भी की। जिसका सुखद परिणाम सबके सामने है। कृषक विकास समिति के अध्यक्ष उमाशंकर प्रसाद ने कहा कि महिलाओं ने अपनी मेहनत के दम पर समृद्धि की राह बनाई है।
महिलाओ के पास खुद का खेत नहीं होने के बाद भी खेती कर खुद को साबित किया है। अब ये अपनी आय से परिवार चला रही हैं। महिला सुनीता देवी, गीता देवी, निर्मला देवी, मुन्नी देवी, ङ्क्षरकी देवी और बबिता देवी ने कहा कि मशरूम की खेती ने हम लोगों के जीवन को बदलकर रख दिया है। हमलोगों ने प्रशिक्षकों के निर्देश के अनुसार मशरूम की खेती की और अब इसको लोग हाथो हाथ खरीद रहे हैं।
डीडीएम नाबार्ड ए के झा ने कहा
महिलाओं को समय-समय पर प्रशिक्षण देकर उनको बेहतर तकनीक की मदद से खेती के गुर सिखाए जाते हैं। महिलाओं ने समूह बनाकर मशरूम की खेती कर आर्थिक रूप से समृद्ध होने की राह बनाई है। इस प्रकार के प्रयास से अन्य गांवों की महिलाओं को भी सशक्त बनाया जा सकता है।
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