जानकर आश्चर्य जरूर होगा लेकिन ये बिलकुल सच है, जी हाँ, मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में चीन और अमेरिका के प्रमुख फसलों में से एक ड्रैगन फ्रुट की खेती पहली बार की जा रही है। इस फल की बहुत सारी खासियत होती है, यह कई बीमारियों में सहायक होता है, म.प्र के बड़वानी जिले में इसकी पहली बार इसकी सफल खेती सेंधवा के रहने वाले डॉ गांगाराम सिगोरिया ने शुरू की है। देश के दूसरे राज्य जैसे महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा के स्थानों पर इसकी खेती की जा रही है। गत वर्ष मुंबई से सात हजार ड्रैगन फ्रुट के पौधे लेकर आए थे। इसके एक पौधे की कीमत थी पचास रूपए। बाद में इन पौधे की टहनियों को काटकर एक लाख पौधे को तैयार किए है।
यह ड्रेगन फ्रुट 120 से 180 रूपए किलो में बिकता है. डॉ सिंगोरिया इससे पहले सफेद मुसली व सुपर फूड चिया सहित अन्य फूलों की खेती कर सकते है। ड्रैगन फ्रुट की खेती में शुरूआती दौर में एक पौधे पर छह से 10 फल लगते है। बाद में इनकी संख्या आसानी से बढ़ जाती है।
क्या है ड्रैगन फ्रुट
इस फल को पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर के नाम से भी जाना जाता है. यह फल बाहर से तो दिखने में काफी उबड़ खाबड़ होता है, इसीलिए इसे ड्रैगन नाम दिया गया है, लेकिन ये फल काफी मुलायम और काफी स्वादिष्ट होता है। ड्रैगन फ्रुट का वैज्ञानिक नाम हायलेसिरस अनडेटस है। इसका उत्पादन मध्य अमेरिका, थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया में भी इसका काफी स्तर पर उत्पादन किया जाता है।
सेंधवा के उद्यानिकी विभाग के मुताबिक अपने औषधीय गुणों के कारण इस फल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी ज्यादा मांग होती है, और दिनों दिन इसकी मांग बढ़ती जा रही है। इसके फूल ज्यादातर रात के समय में ही खिलते है। साथ ही इनके पकने पर इनका रंग लाल होता है। इसके फल बनने में 40 से 45 दिन लगते है और इनका औसत वजन 200 से 350 ग्राम होता है।
बीमारी में लाभदायक
ड्रैगन फ्रुट डायबिटीज, अस्थमा, कोलेस्ट्रोल के मरीजों के लिए रामबाण फल होता है। यह आपकी सेहत को काफी ज्यादा तंदरूस्त रखने में सहायक होता है।