मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने किसानों को उनकी फसलों का अधिकतम मूल्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मंडी अधिनियम में संशोधन किया है। उन्होंने कहा कि इसके लागू होने से किसान अपना अनाज, फल और सब्जी घर से ही निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे।
उन्होंने कहा, किसानों के पास अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए मंडी जाने का विकल्प बना रहेगा।
अधिक प्रतिस्पर्धी प्रणाली विकसित करके हमने किसानों को उनकी उपज के लिए अधिकतम मूल्य उपलब्ध कराने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यापारियों को किसानों के घर या खेतों से फसल खरीदने का लाइसेंस लेना होगा। उन्होंने कहा, पूरे प्रदेश के लिए एक लाइसेंस होगा और व्यापारियों के पास कहीं से भी फसल खरीदने का विकल्प होगा।
इसके साथ ही हमने ई-ट्रेडिंग सिस्टम भी लागू किया है जिसके तहत पूरे देश में मंडियों की दरें किसानों को उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा, वे देश के किसी भी बाजार में अपनी उपज का सौदा और बिक्री करने में सक्षम होंगे जहां उन्हें अधिक कीमत मिलेंगी। चौहान ने बताया कि केंद्र को कृषि उपज एवं पशुधन प्रबंधन अधिनियम 2017 (आइपीएलएम) मॉडल मंडी अधिनियम को राज्यों को भेजकर या प्रचलित अधिनियम में संशोधन करने का विकल्प दिया गया था।
उन्होंने कहा, चूंकि मध्य प्रदेश में आईपीएलएम के दो प्रावधान पहले से ही लागू हैं, इसलिए अब मंडी अधिनियम में संशोधन के जरिए प्रदेश में अन्य सात प्रावधानलागू किए गए हैं।
उन्होंने प्रदेश में पहले से लागू आईपीएलएम के दो प्रावधान हैं-पूरे प्रदेश में पहली बार कृषि उपज खरीदने के समय मंडी शुल्क लिया जाएगा । इसके बाद पूरे प्रदेश में बाद में होने वाली खरीद-बिक्री में बाजार शुल्क नहीं लिया जाएगा। दूसरा प्रावधान फल और सब्जियों के वितरण का नियमन है यानी फल और सब्जियों को मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है।
अब मंडी एक्ट में सात नए प्रावधान को शामिल किया गया है जिसमें निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना शामिल है। गोदाम, साइलो कोल्ड स्टोरेज आदि को भी निजी मंडियों घोषित किया जा सकता है। मंडी के बाहर गांव स्तर पर किसानों से सीधे खरीदारी करते खाद्य प्रसंस्करण, निर्यातक, थोक विक्रेता और अंतिम उपयोगकर्ता। निजी मंडियों के काम में मंडी समितियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। प्रबंध निदेशक मंडी बोआ (प्रबंध निदेशक मंडी बोआ) से नियामक शक्तियों को अलग करने का प्रावधान किया गया है।